ये नजर,
ये नज़ारे..
सबके सब
जाने क्यूँ
करते हैं
इशारे..
बस,
एक तरफ।
वो अनजान,
वो बेखबर..
बैठे हैं
न जाने,
नादान हैं..
या
बने बैठे हैं।
हम,
ये सब
सोचकर..
तने बैठे हैं।
#अरुण कुमार जैन
परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।