स्वागत है पुण्य पथ पे सदकाम कीजिएगा,
मन को पवित्र मंदिर-सा धाम
कीजिएगा।
भारत ये विश्व गुरू की गद्दी पे
पुनः बैठे,
मेरी कामना को पूरन हे राम
कीजिएगा।
लाख उड़ानें सब भरते हैं सजन यहाँ पर कौन बना?
आदर्शों की बात छेड़कर लखन यहाँ पर कौन बना..
सोच रही क्यों खड़ी तवायफ बाजारों में अबला-सी..
हुस्न और जाम सभी चखते हैं सजन यहाँ पर कौन बना ?
सुरभित हैं कथानक,कथ्य लिख रहा हूं,
बातों में भ्रम नहीं,तथ्य लिख रहा हूं।
सियासत की चालों में रंगों न मुझको,
मेरा नाम सत्य है सत्य लिख रहा हूँ।
#विनय शुक्ला