नमन करूँ मैं निज जननी को,
जिन जीवन दान दिया।
वंदन करूँ जनक को जिसने
जीवन सम्मान दिया।
नमन करूँ भ्राता भगिनी सब ,
संगत रख स्नेह दिया।
गुरु को नमन दैव से पहले
मन वचन सु ज्ञान दिया।
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मानुष तन है दैव दुर्लभम,
अनुपम व सौगात है।
दैव,धरा,गुरु,भ्राता,भगिनी,
परिजन व पितु मात है।
गंगा गैया,गिरि,गज गणेश,
गगन गायन गात है।
बमभोले,बाबा, बजरंगी,
ब्रह्मा, बिष्नु, बात है।
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भानु भवानी,भगवन भक्तों,
भ्रात भृत्य नमन करूँ।
बाग बगीचे वन उपवन जल,
सागर, थल ,चमन करूँ।
चन्द्र, सितारे,भिन्न पिण्ड,तरु,
पशु,खग,दुख शमन करूँ।
जीव जगत,निर्जीव सभी सह,
राष्ट्र अरि दमन करूँ।
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नमन करूँ सब भूले भटके
जन गण मन विधान को।
जय जवान,अर,जय किसान के,
हितु मचलते मान को।
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नमन करूँ कण कण मे बसते,
दैवीय अभिमान को।
अपने और सभी के गौरव
मेरे स्व अभिमान को।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः