*सर्व नमन*

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babulal sharma

नमन करूँ मैं निज जननी को,
जिन जीवन दान दिया।
वंदन करूँ जनक को जिसने
जीवन  सम्मान दिया।

नमन करूँ भ्राता भगिनी सब ,
संगत  रख  स्नेह दिया।
गुरु को नमन दैव से पहले
मन वचन सु ज्ञान दिया।
.                ~~~~~
मानुष तन है दैव दुर्लभम,
अनुपम  व  सौगात है।
दैव,धरा,गुरु,भ्राता,भगिनी,
परिजन व पितु मात है।

गंगा गैया,गिरि,गज गणेश,
गगन गायन गात है।
बमभोले,बाबा, बजरंगी,
ब्रह्मा, बिष्नु, बात है।
.                ~~~~~
भानु भवानी,भगवन भक्तों,
भ्रात भृत्य नमन करूँ।
बाग बगीचे वन उपवन जल,
सागर, थल ,चमन करूँ।

चन्द्र, सितारे,भिन्न पिण्ड,तरु,
पशु,खग,दुख शमन करूँ।
जीव जगत,निर्जीव सभी सह,
राष्ट्र  अरि  दमन  करूँ।
.             ~~~~~
नमन करूँ सब भूले भटके
जन गण मन विधान  को।
जय जवान,अर,जय किसान के,
हितु  मचलते  मान को।
.
नमन करूँ कण कण मे बसते,
दैवीय अभिमान   को।
अपने और सभी के गौरव
मेरे   स्व अभिमान   को।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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इंसाँ झूठे होते हैं

Wed Aug 22 , 2018
इंसाँ झूठे होते हैं इंसाँ का दर्द झूठा नहीं होता इन होंठों पर भी हंसी होती गर अपना कोई रूठा नहीं होता। मैं जानता हूं कि आंखों में बसे रुख़ को मिटाया नहीं जाता, यादों में समाये अपनों को भुलाया नहीं जाता। रह–रहकर याद आती है अपनों की ये ग़म छुपाया नहीं जाता, सपनों में डूबी पलकों की कतारों को यूं उठाया नहीं जाता। इंसाँ झूठे होते हैं इंसाँ का दर्द झूठा नहीं होता इन होंठों पर भी हंसी होती गर अपना कोई रूठा नहीं होता।  #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 258

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।