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बेचने आई नीरु,
पीले-पीले टेमरु।
स्वाद लगे रसीला,
जैसे खा रहे चीकू।
देखकर बोला वीरु,
माँ ले लो आए टेमरु।
रसना नाच दिखाती,
दांत आए दिखलाऊं।
इसके नाम बतलाऊं,
खिरनी,तेंदूफल,टेमरु।
फागुनी बसंत में आए,
मनभावन प्यारा टेमरु।
(म.प्र. के धार जिले में ‘मांडव का मेवा’ नाम से प्रसिद्ध है तेंदूफल, खिरनी, टेमरु )
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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