परिचय:-अशोक कुमार ढोरियामुबारिकपुर(हरियाणा)
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नमस्कार बाबू जी।
‘ नमस्कार भैया ।’
‘आज तो बड़ी आस लगाकर आया हूँ।’
‘ आज मुझे इसी समय एक हज़ार रुपये की जरूरत है, मैं बैंक में जाने नहीं पाया।कल बैंक से निकलवाकर दे दूँगा।’
मुझे पता था, शराबी है।
मैंने पूछा-वापिस कब कर दोगे ?
बाबू जी, बैंक से निकलवा कर कल शाम तक अवश्य दे दूँगा।
ठीक है , शाम को ले जाना।
शाम को फिर आता है।
मैंने बहाना बनाकर कहा -तेरी चाची घर पर नहीं है, बाजार गई है वो थोड़ा देरी से आएगी।आप ऐसा करना कल सुबह ले जाना।
अगली सुबह मैं कहीं गायब हो गया।
इसी तरह तीन दिन बीत गये।
चौथे दिन वह फिर आया।
बाबू जी ,पैसे।
मैंने कहा अब तो तुम बैंक से ले आए होगे। अब क्या जरूरत है।
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