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अच्छे बुरे वक्त में भी जो बिल्कुल एक समान रहे,
इस दुनिया में उसकी अपनी एक अलग पहचान रहे,
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जब भी सजदा किया है मैंने यही दुआ बस माँगी है,
आए कितनी भी मुश्किल पर कायम मेरा ईमान रहे,
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रह ना जाए हसरत कोई जो चाहो वो कर गुज़रो,
लेकिन दिल ना दुखे किसी का बस इतना सा ध्यान रहे,
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छोड़ो आते कल की चिंता और बीते कल का गुस्सा,
उतना सफर आसान रहेगा जितना कम सामान रहे,
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वक्त-ए-रूख्सत से पहले कुछ ऐसा करके जाना तुम,
कि तेरे बाद भी बाकी तेरी आन बान और शान रहे,
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मंदिर-मस्जिद के झगड़े का हल करते हैं इस तरह,
राम को रख लो तुम दिल में मेरे दिल में रहमान रहे,
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#भरत मल्होत्रा
परिचय :–
नाम- भरत मल्होत्रा
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान
दीपशिखा
शब्दकलश
शब्द अनुराग
शब्द गंगा
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