एक औरत गर्भ से थी,
पति को जब पता लगा..
कि कोख में बेटी है तो,
वो उसका गर्भपात
करवाना चाहते हैं।
दुःखी होकर पत्नी
पति से क्या कहती है-
सुनो,
न मारो इस नन्हीं कली को,
वो खूब सारा प्यार हम पर
लुटाएगी..
जितने भी टूटे हैं सपने,
फिर से वो सब सजाएगी..।
सुनो,
न मारो इस नन्हीं कली को,
जब जब घर आओगे..
तुम्हें खूब हंसाएगी,
तुम प्यार न करना..
बेशक उसको,
वो अपना प्यार लुटाएगी..।
सुनो,
न मारो इस नन्हीं कली को,
हर काम की चिंता..
एक पल में भगाएगी,
किस्मत को दोष न दो,
वो अपना घर
आंगन महकाएगी..।
ये सब सुन पति
अपनी पत्नी को कहता है-
सुनो,
में भी नहीं चाहता मारना,
इस नन्हीं कली को..
तुम क्या जानो,
प्यार नहीं है..
क्या मुझको अपनी परी से,
पर डरता हूँ..
समाज में हो रही रोज-रोज
की दरिंदगी से..।
क्या फिर खुद वो इनसे,
अपनी लाज बचा पाएगी..
क्यूँ न मारुं मैं इस कली को,
वो बाहर नोची जाएगी..
मैं प्यार इसे खूब दूंगा,
पर बाहर किस-किस से
बचाऊंगा..।
जब उठेगी हर तरफ से नजरें,
तो रोक खुद को..
ना पाउँगा..
क्या तुम अपनी नन्हीं परी को,
इस दौर में लाना चाहोगी..
जब तड़पेगी वो नजरों के आगे,
क्या वो सब सह पाओगी..
क्यों न मारुं में अपनी नन्हीं परी को, क्या बीती होगी उनपे..
जिन्हें मिला हैं ऐसा नजराना,
क्या तुम भी अपनी परी को..
ऐसी मौत दिलाना चाहोगी..।
ये सुनकर गर्भ से,
आवाज आती है…
सुनो माँ-पापा,
मैं आपकी बेटी हूँ
मेरी भी सुनो-
पापा सुनो न,
साथ देना आप मेरा..
मजबूत बनाना मेरे हौंसले को,
घर लक्ष्मी है आपकी बेटी..
वक्त पड़ने पर मैं काली भी बन जाऊँगी..।
पापा सुनो,
न मारो अपनी नन्हीं कली को..
तुम उड़ान देना मेरे हर वजूद को,
मैं भी कल्पना चावला की तरह..
ऊँची उड़ान भर जाऊँगी..।
पापा सुनो,
न मारो अपनी नन्हीं कली को..
आप बन जाना मेरी छत्रछाया,
मैं झाँसी की रानी की तरह खुद की गैरों से लाज बचाऊँगी…।
पति(पिता) ये सुनकर,
मौन हो गया और ,
अपने फैसले पर शर्मिंदगी महसूस
करने लगा..
कहता है अपनी बेटी से-
मैं अब कैसे तुझसे,
नजरें मिलाऊंगा..
चल पड़ा था तेरा गला दबाने,
अब कैसे खुद को तेरेे सामने लाऊंगा..
मुझे माफ़ करना,
ऐ मेरी बेटी,
तुझे इस दुनियां में
सम्मान से लाऊंगा..।
वहशी है ये दुनिया,
तो क्या हुआ..
तुझे मैं दुनिया की सबसे बहादुर बिटिया बनाऊंगा..।
मेरी इस गलती की,
मुझे है शर्म..
घर-घर जा के सबका,
भ्रम मिटाऊंगा..
बेटियां बोझ नहीं होती..
अब सारे समाज में
अलख जगाऊंगा….।
#रुपेश कुमार
परिचय : चैनपुर ज़िला सीवान (बिहार) निवासी रुपेश कुमार भौतिकी में स्नाकोतर हैं। आप डिप्लोमा सहित एडीसीए में प्रतियोगी छात्र एव युवा लेखक के तौर पर सक्रिय हैं। १९९१ में जन्मे रुपेश कुमार पढ़ाई के साथ सहित्य और विज्ञान सम्बन्धी पत्र-पत्रिकाओं में लेखन करते हैं। कुछ संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है।