बोल तू मीठे मीठे बोल,
तू कानों में शहद घोल।
बोल जब भी कुछ तू बोल,
जरा सोच समझ कर बोल।
सारे रिश्तों में मिश्री घोल,
बस अपने शब्दों को तोल।
समझो वाणी का मोल,
ये गुण है अनमोल।
ये दुनियाँ है गोल मोल,
अन्तर्मन की आँखें खोल।
दिल के दरवाजे खोल,
फिर तू मस्ती में डोल।
लो मुश्किलों से पंगे मोल,
आँख मिलाकर उनसे बोल।
अपने डर को पीछे छोड़,
फिर नाचो मस्ती में डोल।
निराशाओं से नाता तोड़,
उदासियों को पीछे छोड़।
खुशियों की मटकी फोड़,
तू ईश्वर से नाता जोड़।
रचना
स्वरचित
सपना (स. अ.)
जनपद औरैया