शशांक मिश्र भारती की लघुकथा निरुत्तर पर मिला सम्मान

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पानीपत|

जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 24 वीं अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता 2018 में ख्यातिलब्ध साहित्यकार संपादक व शिक्षक शशांक मिश्र भारती को उनकी लघुकथा निरुत्तर के लिए सांत्वना पुरस्कार मिला है।अकादमी के निदेशक डा0 वीजेन्द्र कुमार जैमिनी के अनुसार दिनांक 25@11@2018 को आयोजन के बाद सम्मान पत्र पुरस्कार व नकद राशि का चेक आपको भेज दिये गए हैं।इस प्रतियोगिता में देश भर से एक सौ से अधिक लघुकथाकारों ने प्रतिभाग किया था।

2008 से देवसुधा पत्रिका का हर अंक एक विशेषांक के रूप में संपादन कर रहे शशांक मिश्र भारती देवसुधा का चौथा अंक 2012 में लघुकथाओं पर केन्द्रित कर निकाल चुके हैं।इसके अलावा यह 07 जून 2007 को हमसब साथ कला परिवार नई दिल्ली द्वारा गांधी शान्ति प्रतिष्टान में आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में अपनी लघुकथा कम्बल के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान सामाजिक आक्रोश पाक्षिक सहारनपुर  से अखिलभारतीय स्तर पर 2009 व 2012 में क्रमशः छायाअकेला चना के लिए सराहनीय पुरस्कार  तथा प्रेरणा अंशु पत्रिका द्वारा दिनेशपुर उत्तराखण्ड में आयोजित अखिलभारतीय लघुकथा प्रतियोगिता 20 नवम्बर 2011 को तमाशा लघुकथा के लिए 750 नकद सहित सराहनीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।एक दर्जन से अधिक लघुकथा संकलनों में स्थान मिला है।अब तक लगभग पचास लघुकथाओं का प्रकाशन देश के विविध पत्र-पत्रिकाओं व अर्न्तजालों पर हो चुका है।

साल 1991 से लेखन में रत इनकी अब तक दस पुस्तकों पर्यावरण की कविताएं क्यों बोलते हैं बच्चे झूठ मुखिया का चुनाव बिना विचारे का फल आओ मिलकर गाएं माध्यमिक शिक्षा और मैं स्कूल का दादा दैनिक प्रार्थना हम बच्चे दस पुस्तकें छप चुकी हैं एक पुस्तक मुखिया का चुनाव उड़िया भाषा में छपी है। कुछ पर उड़िया कन्नड़ मराठी गुजराती व सन्ताली में काम चल रहा है। देश-विदेश के सौ से अधिक संस्था-संगठन इनकों सम्मानित पुरस्कृत कर चुके हैं।शहीदों की नगरी के नाम से विश्व में विख्यात उत्तर प्रदेश शाहजहांपुर के पुवायां बड़ागांव निवासी यह सम्प्रति उत्तराखण्ड के टनकपुर में राजकीय इण्टर कालेज में संस्कृत प्रवक्ता के पद पर कार्यरत रहते हुए वहीं से अपनी साहित्य साधना में रत हैं।इनको इस उपलब्धि पर अनके साहित्यकार संपादक पत्रकार व शिक्षकों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बधाई दी है।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।