माता पिता की सीख

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anita tiwari
       एक समय की बात है ,एक गांव में रोहन और मोहन नाम के दो लड़के रहते थे और दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते थे ।रोहन  बचपन से ही अपने मित्रों की चीजें चुराता था,उसकी मां और पिता ने उन चीजों को देखा पर उन्होंने कभी भी उसे कुछ नहीं कहा। इस प्रकार उसकी यह आदत और बढ़ गई दूसरी ओर मोहन भी सोहन की संगति में एक दिन किसी की पुस्तक घर ले आया, मां -पिता ने देखा तो दूसरे ही दिन मोहन के साथ  विद्यालय जाकर पुस्तक वापस किया और बेटे की गलती के लिए माफी मांगी।
                          इस तरह मोहन के माता-पिता  ने सदैव उसे अच्छी शिक्षा दी। उधर रोहन की चोरी की आदतें दिन-ब-दिन बढ़ती गई समय बीतता गया दोनों बड़े हुए रोहन किसी प्रकार का कार्य न करके चोरी और मारपीट आदि कार्य करता था ।जिस राज्य में वह रहता था ।वहां चोरी की सजा फांसी दी जाती थी। एक दिन चोरी करते हुए पुलिस ने उसे पकड़ लिया, उस पर मुकदमा चलाया गया और फांसी की सजा सुनाई ।जब उसे फांसी के लिए ले जाया जा रहा था, उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उसने अपने माता -पिता से मिलने की इच्छा जताई।उसे माता-पिता से मिलवाया गया।करूण रूदन और आह  भरकर उसने अपने माता पिता से कहा—“उस रोज आपने मुझे चोरी करने से मना किया होता तो आज  मैं फांसी के फंदे पर नहीं झूलता ।”
       देखो वह मेरा दोस्त मोहन चोरी नहीं करता था ,आज जज बना बैठा है और मैं अपनी मौत को गले लगाने जा रहा हूं——–।
#अनिता तिवारी
परिचय-
अनिता तिवारी
शिक्षिका 
अंबिकापुर, ( सीतापुर) 
सरगुजा

matruadmin

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