परिवार

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shashi mittal
खोखले हो गए परिवार ,
चर गई दीमक रिश्तों को ..
सह कुटुंब का अस्तित्व कहां गया ?
दूर कहीं किताबों में …
या बड़े -बूढ़ों की यादों में..
पहले एक ही छत के नीचे ,
एक ही चूल्हे पर ,
पकता था प्यार !
अगाध स्नेह…
जो झलकता था
रिश्तों में ..
अब रह गया
 यादों में ..
किताबों में ..
कहानियों में..
दादा -दादी तो हो गए दूर की बात ,
माँ -बाप भी तब तक हैं ..
जब तक मिलता नहीं हिस्सा..
उसके बाद खत्म सारा किस्सा !!
पिछले साल का है किस्सा ,
ऐसा ही एक बेटा लेकर हिस्सा ..
माँ के विश्वास को तोड़ गया !
किसी एयरपोर्ट पर लावारिस छोड़ गया !!
करोड़पति सिंघानिया का देखा हाल !
हिस्सा लेकर बाप को कर दिया बेहाल !!
रही सही कसर कानून ने कर दी पूरी ..
लिव इन रिलेशनशिप और कॉन्टेक्ट मैरिज़ को दे दी मंजूरी !
जब पति पत्नी ही नहीं तो परिवार कहां से बसते ??
कॉन्टेक्ट खत्म और चल दिये अपने रस्ते!!
इस दौरान जो हुए बच्चे ,
वो पलेंगे यतीमों की तरह,
रहेंगे तिरस्कृतों की तरह ..
हे भारत माँ के सपूत
तुम बचा लो अपनी संस्कृति
और संस्कारों को…
ताकि हम गर्व से  कह सकें..
परिवार में पलता है स्नेह व संस्कार !!!
       #शशि मित्तल
        सरगुजा (छत्तीसगढ़)

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