एक गृहणी मात्र घर पर ही नहीं रहती
बल्कि वो घर पर ही रह सारे काम
बड़ी कुशलता से निभाती है
वो घर की *योद्धा* होती है
सुबह से उठकर रसोई के काम
बच्चों को स्कूल भेजना
पति को दफ़्तर या दुकान भेजना हो
चाहे सास ससुर की सेवा हो
बग़ीचे में पानी देना हो
और फिर उसी वक़्त कोई मेहमान का आना
हर काम एक कुशलता पूर्वक
एक अडिग योद्धा की तरह निभाती है
न चेहरे पर कोई शिकन न कोई थकावट का भाव
होती है तो सिर्फ़
चेहरे पे एक प्यारी सी मुस्कुराहट
हर किसी को आत्मसात करने की
अपार क्षमता
चाहे लाख बीमार हो
पर उसे कहाँ आराम
दूसरों की ख़ुशी में ख़ुश होना
चाहे ख़ुद को कितनी भी तकलीफ़ हो
हर वक़्त सबको ख़ुश रखना
ममता और त्याग की मूर्ति यूँ ही
नहीं कहलाती
फ़ौलाद सा जिगर लिए फिरती हैं
दिल में बेशुमार प्यार लिए
सबकी भावनाओं की क़द्र करतीं
सेवभाव मन में लिए
अपने लिए न कुछ चाहती हैं
घर कुशलता से संभालती हैं
ऐसी ऊर्जा से भारी होती है
गृहणियाँ
घर की योद्धा होती है ………
#अदिति रूसिया
वरासिवनी