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याद है क्या अभी भी तुमको, वो पहली मुलाकात,
जब टकराये थे हम दोनों इत्तेफाक से उस रात,
याद है क्या अभी भी तुमको,पहली दफा जब भीगें थे साथ-साथ,
वह बिजली की चमक,तेेेज गड़गड़ाहट और मद्धम सी बरसात,
याद है क्या अभी भी तुमको,जब पहली बार थामा था मेरा हाथ,
किए थे अनगिनत वादे,मरते दम तक नही छोडूंगी तुम्हारा साथ,
याद है क्या सच में अभी भी तुमको,जब पहली बार कहा था मुझे तुमसे प्यार हो गया,
मेरी सांसें सिर्फ तुम्हारें नाम से चलती हैं,मुझे बस तुम्हारा ही अब नशा-ए-खुमार हो गया,
याद है क्या अभी भी तुमको,जब मुझे देख नजरें झुकाकर निहारा करती थी,
रोज मेरी गलियों में आकर,छुपकर मेरा नाम पुकारा करती थी,
अच्छा सच में अभी भी तुमको,याद तो होगी उस अन्तिम दिन की अन्तिम बात,
जब आकर अन्तिम बार कहा कीचड़ हो तुम अब मुझे नहीं रहना तुम्हारें साथ,
सच में मुझे आज भी नही पता ऐसी क्या हो गयी थी बात,
क्यों तुमने सारे रिश्ते तोड़ के मुझसे छोड़ दिया मेरा हाथ,
खैर,आज सच में मैं तुम्हारा दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ,
उस कीचड़ से निकल कड़े सफर के बाद आज कमल में सवार हूँ,
तुमने ही प्यार में औकात बताई मेरी,अब नही पड़ा दोबारा किसी के प्यार में हूँ मैं,
तुम तो आखिर वहीं रह गयी,लेकिन आज शहर के हर अखबार में हूँ मैं,
#शिवांकित तिवारी ‘शिवा’
परिचय-शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.)है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश)में बसेरा है। मध्यप्रदेश के श्री तिवारी ने कक्षा १२वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है,और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में कार्यरत होकर सामाजिक गतिविधि के निमित्त कुछ मित्रों के साथ संस्था शुरू की है,जो गरीब बच्चों की पढ़ाई,प्रबंधन,असहायों को रोजगार के अवसर,गरीब बहनों के विवाह में सहयोग, बुजुर्गों को आश्रय स्थान एवं रखरखाव की जिम्मेदारी आदि कार्य में सक्रिय हैं। आपकी लेखन विधा मूलतः काव्य तथा लेख है,जबकि ग़ज़ल लेखन पर प्रयासरत हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का है,और यही इनका सर्वस्व है। प्रकाशन के अंतर्गत किताब का कार्य जारी है। शौकिया लेखक होकर हिन्दी से प्यार निभाने वाले शिवा की रचनाओं को कई क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी स्थान मिला है। इनको प्राप्त सम्मान में-‘हिन्दी का भक्त’ सर्वोच्च सम्मान एवं ‘हिन्दुस्तान महान है’ प्रथम सम्मान प्रमुख है। यह ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-भारत भूमि में पैदा होकर माँ हिन्दी का आश्रय पाना ही है। शिवांकित तिवारी की लेखनी का उद्देश्य-बस हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठता की श्रेणी में पहला स्थान दिलाना एवं माँ हिन्दी को ही आराध्यता के साथ व्यक्त कराना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माँ हिन्दी,माँ शारदे,और बड़े भाई पं. अभिलाष तिवारी है। इनकी विशेषज्ञता-प्रेरणास्पद वक्ता,युवा कवि,सूत्रधार और हास्य अभिनय में है। बात की जाए रुचि की तो,कविता,लेख,पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, प्रेरणादायी व्याख्यान देना,कवि सम्मेलन में शामिल करना,और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना है।
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