श्रीकृष्ण कहे सुन ले अर्जुन,
जो रुप तुझे दिखलाया है,
अब से पहले उस दिव्य रुप को,
कोई नहीं लख पाया है।
इस घोर रुप को लख करके,
तू क्यों कर व्याकुल होता है,
हे भक्त शिरोमणि प्रेम सहित,
तू देख वही जो सोचा है।
संजय बोले- सुनिए राजन,
यों अर्जुन को समझाया है,
फिर रुप चतुर्भुज अर्जुन को,
प्रभु ने अपना दिखलाया है।
तदुपरान्त यदु नंदन ने,
फिर दो भुज रुप बनाया है,
उस नराकार को लख अर्जुन,
फिर शांत भाव को पाया है।
सुन अर्जुन यह रुप मेरा,
योगी भी लख नहीं पाते हैं,
यह रुप चतुर्भुज लखने को,
सब देव सदा ललचाते हैं।
#रमेश शर्मा ‘निर्झर’
परिचय : रमेश शर्मा ‘निर्झर’ चांदामेटा निवासी हैं तथा बैंक आॅफ महाराष्ट्र परासिया में सेवारत हैं। गद्य व पद्य दोनों लेखन में रुचि है। वर्तमान में श्रीमद् भागवद्गीता का पद्यानुवाद राधेश्याम धुन में पूर्ण कर चुके हैं।