विश्व के पुनर्जागरण का माध्यम कविता

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21 मार्च- विश्व कविता दिवस विशेष

भावना शर्मा, दिल्ली

“आत्मा के सौंदर्य का शब्द रूप है काव्य,
मानव होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य।”

प्रख्यात गीतकार गोपालदास नीरज द्वारा रचित यह दोहा कविता और कवि के महत्त्व को दर्शाता है। कविता मनुष्य के हृदय से उपजे कोमल भावों का सुंदरतम रूप है जो भाषा के माध्यम से प्रकट किया जाता है। अपनी उत्पत्ति के प्रारंभिक काल अर्थात् रीतिकाल में शृंगार रस की प्रधानता से लेकर आधुनिक काल के प्रगतिशील और प्रयोगवादी चरण में कविता निरंतर अपना रूप परिवर्तित करती रही है। जहाँ ब्रिटिश काल में कविता परतंत्रता के विरोध और विद्रोह का मुखर स्वर बनी, वहीं स्वतंत्रता के पश्चात व्यवस्था और मानव मूल्यों की विवेचना का आधार बनी। कहते हैं, “जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि”। यानी कि जहाँ सूर्य की किरणें भी नहीं पहुँच सकती, कवि अपनी कविता के माध्यम से वहाँ भी उपस्थिति दर्ज करा सकता है। आजकल की भौतिकवादी प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में कविता नर्म धूप की तरह भावनाओं को प्रश्रय देती है। कविता के इसी महत्त्व को रेखांकित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को दुनिया भर के कविता प्रेमी और कवि अंतर्राष्ट्रीय कविता दिवस के रूप में मनाते हैं।
विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। सन् 1999 में यूनेस्को अर्थात् ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन’ द्वारा भाषाई विविधता को बढ़ावा देने और कविता के महत्त्व का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से 21 मार्च को विश्व कविता दिवस मनाने की घोषणा की गई। यह यूनेस्को का 30वां अधिवेशन था, जो कि पेरिस में हुआ था। यहीं आधिकारिक तौर पर विश्व कविता दिवस मनाने की घोषणा की गई। यूनेस्को ने अपनी मूल घोषणा में कहा कि क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कविता आंदोलन को मान्यता और प्रोत्साहन देने के लिए 21 मार्च की तिथि नियत की जाती है। इस अवसर पर विभिन्न देशों के द्वारा उनके संस्कृति मंत्रालय और साहित्य से जुड़ी संस्थाओं के सहयोग से कविता को बढ़ावा देने वाली विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारत में संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी के परस्पर सहयोग से इस दिन कविता से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
जहाँ पहले काव्य सृजन समाज के कुछ चुनिंदा साहित्य प्रेमियों का काम हुआ करता था, वहीं अब इंटरनेट क्रांति और सोशल मीडिया के फैलाव से कवियों की जैसे बाढ़–सी आ गई है। अधिकतर कवियों को कविता के तत्त्वों के बारे में उचित जानकारी नहीं होती और वह कथा-कहन को तुकबंदी के माध्यम से कविता का रूप देने का निष्फल प्रयास करते हैं। लेकिन कविता तो रस, आनंद अनुभूति, रमणीयता संवेदना जैसे तत्त्वों से अलंकृत होकर ही सुशोभित होती है। साहित्य की अन्य विधाओं की तरह कविता की रचना प्रक्रिया और सृजनात्मकता कुछ विशेष पैमानों पर खरा उतरने के बाद ही वास्तव में कविता के रूप में स्वीकृत हो सकती है। कविता देश, समाज, प्रकृति, अनुभूति और आत्माभिव्यक्ति के आधार पर विभिन्न वर्गों में श्रेणीकृत की जा सकती है। परन्तु इन सब में भी कविता का मूल तत्त्व इसका आधार होता है। विश्व कविता दिवस एक अवसर साबित हो सकता है जब कविता को योग्य और समर्थ आलोचक कसौटी पर परखें और उसके अनुसार विश्लेषण करें। साहित्य की किसी भी अन्य विधा की तरह ही कविता की प्रासंगिकता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

सुमित्रानंदन पंत की एक प्रसिद्ध रचना है-
“वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान,
निकलकर आँखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान।”
कविता में पीड़ा को अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। विरह की प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा की कविताएँ मानवीय भावना और पीड़ा को वह उच्चतम स्थान प्रदान करती हैं जिसमें मनुष्य ख़ुद को समर्पित कर देता है। कविता के माध्यम से रचनाकार अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कर कलात्मक और सृजनात्मक रूप दे सकता है। अन्यथा मनुष्य का आवेग विध्वंसात्मक व्यवहार के रूप में सामने आने की आशंका होती है। इसी तरह अन्य भावों या रसों से युक्त कविता कला, सामाजिक चेतना, जन-जागरुकता, प्रतिरोध को भी मज़बूत आवाज़ देने में सक्षम है। विश्व कविता दिवस लुप्तप्राय भाषाओं को संरक्षित करने और काव्य सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित एक दिवस है। इसमें अतीत और वर्तमान कवियों को प्रेरित और सम्मानित किया जाता है और कविता पाठ करने की परंपरा को भी प्रोत्साहित करने की दिशा में प्रयास किए जाते हैं। यह संस्कृति और परंपरा की विविधता को बनाए रखने का भी एक माध्यम है। काव्य सृजन में सभी वर्गों और संस्कृतियों से जुड़े लोगों को मौका देकर इसे और भी अधिक समावेशी बनाया जा सकता है। विश्व कविता दिवस पर काव्य शिल्पियों को प्रोत्साहन देने और वास्तविक कविता को रेखांकित करने की आवश्यकता है जिससे कविता की महत्ता को पुनर्स्थापित किया जा सके।

कविता के माध्यम से जटिल भावनाओं को सरलता और सहजता के साथ प्रस्तुत किया जा सकता है। दुनिया के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी कवि विलियम शेक्सपियर द्वारा बरसों पहले लिखी गई सोनेट हो या फिर समकालीन जापानी कवियों द्वारा लिखी हायकू, इसी तरह पेरिस के एलीट वर्ग की कविताएँ हों या फिर अफ़्रीका के जंगलों में आदिवासियों द्वारा गाया जाने वाला लोकगीत ये सभी कविता के विकास और प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। प्रत्येक कविता अपने साथ मानवीय भावना का एक सजीव रूप प्रदर्शित करती है। कविता व्यक्तिगत या सामूहिक सुख-दुख, आशा-निराशा और सपनों के प्रतीक के तौर पर काम करती है। कविता वंचित वर्गों को एक आवाज़ देती है और उन्हें अपनी बात कहने का माध्यम प्रदान करती है। विश्व कविता दिवस विभिन्न देशों और संस्कृतियों को एक साझा मंच प्रदान करता है। इस तरह से साझा मंच पर विभिन्न राष्ट्रों और संस्कृतियों के प्रतिनिधि कवि अपनी–अपनी भावनाएँ एक–दूसरे से साझा करते हैं जिससे अंतर्राष्ट्रीय और अंतर्सांस्कृतिक संबंधों का विकास होता है। इस तरह कविता वसुधैव कुटुंबकम की भावना को भी पोषित करने का एक माध्यम साबित होती है।

इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय कविता दिवस मनाते हुए हम न सिर्फ़ कविता की कालातीत सुंदरता का आनंद लें बल्कि यह भी पहचानें कि कविता हमारे जीवन और संपूर्ण विश्व पर कितना गहरा प्रभाव डालती है। कविता सिर्फ़ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने का भी माध्यम बन सकती है। आवश्यकता है कि वर्तमान को देखते हुए सुंदर समावेशी और साझा भविष्य को आकार देने के लिए कविता की शक्ति पर विचार करें और उस पर अमल करते हुए विश्व कविता दिवस को सार्थक करें।

#भावना शर्मा, दिल्ली

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