(मणिमाला शर्मा, इन्दौर)
इंदौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर के साप्ताहिक सृजन विविधा कार्यक्रम में रचनाकारों ने विविध भावों और रंगों की रचनायें सुनाईं, जिसमें मॉं की महिमा, मतदान के महत्व को भी शामिल किया गया।
कार्यक्रम का संचालन कर रही साहित्यमंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने कहा कि रचना लिख देना ही इतिश्री नहीं होना चाहिए। उस पर चर्चा भी होना चाहिए। कार्यक्रम में डॉ. दीप्ति गुप्ता ने पुरातन परम्पराओं के विरोध में लघुकथा ’मोड़ा-मोड़ी’ सुनाई, दिलीप नेमा ने ’अड़ंगे’, डॉ. मनीष दवे ने ’अंधविश्वास’ तथा महेश गुप्ता ने ’संस्कार’ में समसामयिक विषयों को प्रस्तुत किया। दिनेश दवे ने अपनी कविता में कहा कि पढ़ना किताब भूल गये हैं लोग, नीलम सिंह ने अपनी कविता में बिना सास ससुराल नहीं, डॉ. अखिलेश राव ने मॉं की महिमा पर रचनापाठ में ’अपनी ऑंखों से अमृत पिला दे उसे मॉं कहते हैं, दो कदम जो चलना सिखा दे उसे मॉं कहते हैं…’ बहुत सुंदर रचना पढ़ी।
संतोष त्रिपाठी का गीत श्रोताओं के दिलों पर छा गया ’मैं कली थी बिखरती रही टूटकर, वो खुशबुओं को चुराता रात भर, चीख मेरी कहीं दब सी गई, गीत वो गुनगुनाता रहा रात भर..’, किशोर यादव की कविता ’ये जज्बा भी अब मौन हो रहा है’, डॉ. आरती दुबे की हिन्दी और निमाड़ी में रचना ’देश के हित में अपना मतदान करो’ समसामयिक लगी। तृप्ति शाह ने ’मॉं खुद में तुम्हारी छवि ढूंढती हूॅं…’ बहुत भावपूर्ण रचना पढ़ी। मनीषा व्यास ने ’जाति और धर्म में न बॉंटे देश’.., किशोर बालक बृज जैन ने राष्ट्र प्रेम पर रचना पढ़ी। डॉ. अर्पण जैन, डॉ. सुधा चौहान, अजय राठी, भरत आादि ने भी अपनी रचनायें पढ़ीं।
इस अवसर पर समिति के प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी, अर्थ मंत्री राजेश शर्मा, मणिमाला शर्मा, नयन राठी, संजीव रामचन्द्र आदि काफी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे। अंत में आभार समिति के प्रधानमंत्री श्री अरविन्द जवलेकर ने व्यक्त किया।
‘सृजन विविधा’ क्या है
श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में प्रधानमंत्री अरविन्द जवलेकर व साहित्य मंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से व स्थापित रचनाकारों की सहभागिता के लिए प्रति शुक्रवार सृजन विविधा” का आयोजन शुरू किया। इसमें वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा रचनाओं पर टिप्पणी की जाती है जिससे मार्गदर्शन भी मिलता है।