मत मारो सपने हमारे

0 0
Read Time4 Minute, 27 Second
avdhesh
शासक बदले
स्वराज मिला
पल भर के लिए
मन प्रसून खिला
किन्तु चार दिन की चाँदनी
ठहर न सकी
हमारी झोपड़ी में
निकल गई बाजू से
राजधानी ट्रेन की मेन लाइट की मानिंद,
हमारे नेताओं के वादे
पहले लुभाए
फिर घायल किए
तन, मन और झोपड़ी को
और फिर
बिखर गए ओलावृष्टि बनकर
नहर भी आई
लहराती, बलखाती
और बहा ले गई
हमारे चबूतरे को
पता चला कि पाट दी
किसी के खेत में
गाँव का सरकारी स्कूल
बाँटकर खिचड़ी
शर्माता है ऐसे
कि जैसे इज्जत बचाने में
हिंदी सिकुड़ जाती है
प्राइवेट स्कूल की अंग्रेजी के सामने
गरीबी के विस्तार ने
किया गरीब का पतन
शहर हुए आलीशान
झुग्गी वीरान
भव्य होटल, महल या मॉल
की बुनियाद में
दफ़न होती हैं झुग्गियाँ
और लापता हो जाते हैं
अनगिनत लोग
गुलाब के काँटों ने
भागने के लिए
किया है सदा मजबूर
कुकुरमुत्तों को
जो उगते हैं हमेशा
देखकर गंदी जगह
मानकर सुरक्षित
किन्तु गुलाब की
सहस्त्राबाहु, ऑक्टोपस या धृतराष्ट्र
जैसी छली बाहें
चूसकर फेंक देती हैं
हमेशा लूटते रहे हो
लूट लो अभी भी
हमारे सर्वस्व
बस छोड़ दो अधमरे सपने हमारे
ताकि न हो विलुप्त
हमारी प्रजाति
और हम बन सकें
पायदान
सबसे बड़े लोकतन्त्र का।
परिचय
नाम : अवधेश कुमार विक्रम शाह
साहित्यिक नाम : ‘अवध’
पिता का नाम : स्व० शिवकुमार सिंह
माता का नाम : श्रीमती अतरवासी देवी
स्थाई पता :  चन्दौली, उत्तर प्रदेश
 
जन्मतिथि : पन्द्रह जनवरी सन् उन्नीस सौ चौहत्तर
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिन्दी व अर्थशास्त्र), बी. एड., बी. टेक (सिविल), पत्रकारिता व इलेक्ट्रीकल डिप्लोमा
व्यवसाय : सिविल इंजीनियर, मेघालय में
प्रसारण – ऑल इंडिया रेडियो द्वारा काव्य पाठ व परिचर्चा
दूरदर्शन गुवाहाटी द्वारा काव्यपाठ
अध्यक्ष (वाट्सएप्प ग्रुप): नूतन साहित्य कुंज, अवध – मगध साहित्य
प्रभारी : नारायणी साहि० अकादमी, मेघालय
सदस्य : पूर्वासा हिन्दी अकादमी
संपादन : साहित्य धरोहर, पर्यावरण, सावन के झूले, कुंज निनाद आदि
समीक्षा – दो दर्जन से अधिक पुस्तकें
भूमिका लेखन – तकरीबन एक दर्जन पुस्तकों की
साक्षात्कार – श्रीमती वाणी बरठाकुर विभा, श्रीमती पिंकी पारुथी, श्रीमती आभा दुबे एवं सुश्री शैल श्लेषा द्वारा
शोध परक लेख : पूर्वोत्तर में हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता
भारत की स्वाधीनता भ्रमजाल ही तो है
प्रकाशित साझा संग्रह : लुढ़कती लेखनी, कवियों की मधुशाला, नूर ए ग़ज़ल, सखी साहित्य, कुंज निनाद आदि
प्रकाशनाधीन साझा संग्रह : आधा दर्जन
सम्मान : विभिन्न साहित्य संस्थानों द्वारा प्राप्त
प्रकाशन : विविध पत्र – पत्रिकाओं में अनवरत जारी
सृजन विधा : गद्य व काव्य की समस्त प्रचलित विधायें
उद्देश्य : रामराज्य की स्थापना हेतु जन जागरण 
हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति जन मानस में अनुराग व सम्मान जगाना
पूर्वोत्तर व दक्षिण भारत में हिन्दी को सम्पर्क भाषा से जन भाषा बनाना
 
तमस रात्रि को भेदकर, उगता है आदित्य |
सहित भाव जो भर सके, वही सत्य साहित्य ||

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जनता है भगवान

Sun Dec 9 , 2018
जनता है भगवान बोलो राम राम राम! चुनाव देखकर नेता आते वादों का अंबार लगाते पानी,विजली ,साफ सफाई को अपना मुद्दा बतलाते भोली भाली जनता को वे मौका पाकर खूब रिझाते बात-बात पर वंदन करते करते उन्हें प्रणाम। बोलो राम राम राम! लोकतंत्र के रक्षक बनते जनता के वे भक्षक […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।