
कुछ ऐसी बात हो गई,
बनते बनते बात वो ,
बिगड़ी जैसी बात हो गई,
सुनो ! बातों का कमाल भई ।
बातों ही बातों में,
कुछ ऐसी बात बन गई,
बिगड़े बिगड़े बात भी,
बातों में ही बात बन गई,
सुनो ! बातों का कमाल भई ।
कोई शत्रु हुआ बातों से,
कोई मित्र हुआ बातों से,
अपनों से खटास हो गई,
गैरों से मिठास हो गई ।
सुनो ! बातों का कमाल भई ।
नाम-पारस नाथ जायसवाल
साहित्यिक उपनाम – सरल
पिता-स्व0 श्री चंदेले
माता -स्व0 श्रीमती सरस्वती
वर्तमान व स्थाई पता-
ग्राम – सोहाँस
राज्य – उत्तर प्रदेश
शिक्षा – कला स्नातक , बीटीसी ,बीएड।
कार्यक्षेत्र – शिक्षक (बेसिक शिक्षा)
विधा -गद्य, गीत, छंदमुक्त,कविता ।
अन्य उपलब्धियां – समाचारपत्र ‘दैनिक वर्तमान अंकुर ‘ में कुछ कविताएं प्रकाशित ।
लेखन उद्देश्य – स्वानुभव को कविता के माध्यम से जन जन तक पहुचाना , हिंदी साहित्य में अपना अंशदान करना एवं आत्म संतुष्टि हेतु लेखन ।