” मीत ” 

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sachin
सोलह सावन बीत गए है, पर वो मीत अभी भी याद है,,
जो बारिश़ में गुनगुनाया करते, वो गीत अभी भी याद है,,
उसके नाम के अक्षर वाले आज भी मन को भाते है,,
जितना भूलाना चाहुं उनको उतना वो याद आते है,,
उनकी कसमें,उनकी रस्में, वो प्रीत अभी भी याद है,,
सोलह सावन बीत गए है, पर वो मीत अभी भी याद है,,
उसके घर के पिछवाड़े में वो पीपल बड़ा स्याना था,,
जिसके पत्तों पर लिखा अक्षर अक्षर दिवाना था,,
उस पनघट पर दिल थे हारे, पर वो जीत अभी भी याद है,,
सोलह सावन बीत गए है, पर वो मीत अभी भी याद है,,
वो चोरी चोरी उनसे मिलना, वो आंखो की आंख मिचोली,,
धीरे से तब हाथ दबाना, वो बातें और हंसी ठिठोली,,
बहके हम दोनो से जो नीभ ना पाई, वो रीत अभी भी याद है,,
सोलह सावन बीत गए है, पर वो मीत अभी भी याद है,,
जो बारिश़ में गुनगुनाया, वो गीत अभी भी याद है,,
#सचिन राणा हीरो
  हरियाणा 

matruadmin

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