#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)
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सम्हल कर उड़ तू परिंदे,
तेरी उड़ान पर सय्याद
बहुत से नजर गड़ाए है।
तेरी उड़ान ने ना जाने कब
से सय्यादो के होश उड़ाए है।
तेरे पिंजरे में बांधने को पर,
उन्होंने बहुत जाल बिछाए है।
तेरी आजादी से उड़ने से वो
सब हैरान बहुत है,तुझे बन्द
करने को पिंजरे में उन्होंने
भी बड़े अपने प्रयास लगाए है।
तू उड़ अपनी लगन से,तुझे
सय्याद के जाल से मतलब
भला क्या है , कि तूने अपने
प्रयास से अपने आसमान
बनाये है।
इन सय्यादो को तेरे होशलो
का आभास ही नही है , कि
छोटा सा जाल इनका,पर तूने
सारे आकाश में उड़ने को पर
अपने फैलाये है।
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