दीप जलाओ जन जन के मन में।
दीप जलाओ उनके भी मन में,
अंधकार है जिनके मन में ।
दीप जलाओ उन जन में,
गुबार भरा जिनके मन में।
दीप जलाओ उनके पन में,
अनंग छिपा जिनके तन में ।
दीप जलाएं नारी अपने-2 घर में,
अंधकार मिटे,तब हर नर के उर में ।
हर मां – बेटी मुस्काए अपने घर में ,
जब नारी प्रकाश भरे नर के उर में ।
नाम-पारस नाथ जायसवाल
साहित्यिक उपनाम – सरल
पिता-स्व0 श्री चंदेले
माता -स्व0 श्रीमती सरस्वती
वर्तमान व स्थाई पता-
ग्राम – सोहाँस
राज्य – उत्तर प्रदेश
शिक्षा – कला स्नातक , बीटीसी ,बीएड।
कार्यक्षेत्र – शिक्षक (बेसिक शिक्षा)
विधा -गद्य, गीत, छंदमुक्त,कविता ।
अन्य उपलब्धियां – समाचारपत्र ‘दैनिक वर्तमान अंकुर ‘ में कुछ कविताएं प्रकाशित ।
लेखन उद्देश्य – स्वानुभव को कविता के माध्यम से जन जन तक पहुचाना , हिंदी साहित्य में अपना अंशदान करना एवं आत्म संतुष्टि हेतु लेखन ।