0
0
Read Time42 Second
दीये की जोत जो हो तुम
सनेह का धृत मेरा है.
सुवासित हवन-धूप-सा
मेरे रोम में बसे हो तुम.
जीवन यह ढोल है मेरा
तेरे थापों बिना सूना.
जो तुम्हारी धूप पड़ती है
तभी होता मेरा वादन.
मेरी पूजा, मेरा अर्चन
मेरा वंदन, मेरा गायन
भजन की लय तुमसे है
सांसों की लय तुमसे है.
मूंदे- नैनों की कामना हो
अधर की अस्फुट-प्रार्थना हो
जीवन मंदिर के दीप तुम मेरे
उपासना भी, आराधना भी.
#पूनम कतरियार, पटना
Post Views:
567