हाइकु……१००

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. प्रथम शतक
. °°°°°°°°
१.
खेत में डेरा
हाथ में मोटी रोटी
दूध की डोली

तेल बिनौरी
सिर पर छबड़ी
गीत गुंजन

होली के रंग
चौपाल पर ताश
चंग पे भंग
४.
नीम का पेड़
वानर अठखेली
दंत निंबोली

सम्राट यंत्र
धूप घड़ी देखता
विद्यार्थी दल

संग्रहालय
कांँच बाँक्स में ‘ममी’
उत्सुक छात्रा

गुलाब बाग
पैंथर पिँजरे में
कूदे वानर

मोती मंगरी
तोप पे लेते सेल्फी
सैलानी बाला

विजय स्तंभ
सैलानी लेते फोटो
पद्मिनी ताल
१०.
पुष्कर मेला
बैलगाड़ी में बैठे
विदेशी बाला
११
आना सागर
कीकर छाँव बैठा
रेत पे मृग
१२
सिंधु का तट
कछुए और अण्डे
मछली गंध
१३
रामनवमी
श्रम में पसीजता
भीगा किसान
१४
शीतलाष्टमी
पीपल पीले पात
पूरी पक्वान्न
१५
चैत्र की अमा
दूल्हे जैसी पोषाक
सजी बालिका
१६
गौरी पूजन
गौ के चारे में दूब
नचे बालिका
१७
चैत्र अष्टमी
थाली में पुए खीर
पानी का झारा
१८
रणथम्भौर
शिला पे अश्व खुर
बाघ विहार
१९
आम्रमंजरी
बालकों की पंगत
झड़ी कैरियाँ
२०
लौकी रायता
छप्पर पर बाँस
प्याले में दही
२१
रसमलाई
गौशाला में टंकियाँ
चीनी का डिब्बा
२२
खीर जलेबी
रावण का पुतला
कन्या पूजन
२३
बैंगन भुर्ता
दादी के हाथ मिर्च
सिल पे बट्टा
२४
पुस्तकालय
ढाबे पर विद्यार्थी
हाथ में चाय
२५
आलू टिकिया
तवे पर पराँठा
भीड़ में बाला
२६
ग्रीष्म भोर
बाला के हाथ रोटी
दही की प्याली
२७
सावन वर्षा
देश भक्ति संगीत
ध्वज सलामी
२८
शीत लहर
शाला में छात्रा नृत्य
तिरंगा लहरे
२९
बथुआ भाजी
दही भरा कटोरा
सेंकते जीरा
३०
मेथी के लड्डू
छाछ को बिलोती माँ
गोद मे शिशु
३१
मक्का का खेत
छूँछे में पिरो पंख
उछले बाला
३२
सूर्य ग्रहण
छत पे काले चश्मे
शोधार्थी छात्र
३३
शुक्ल यामिनी
माँ बेटी छत पर
रचे मेंहदी
३४
आकाश गंगा
माता दिखाए ग्लोब
महासागर
३५
ग्राम्य सड़क
गठरी लिए वृद्धा
गोद में शिशु
३६
चिकित्सालय
कमरे में कंकाल
खाँसती कुर्सी
३७
श्मशान घाट
वर्षा में रोपे वृद्ध
वट का पौधा
३८
करवा चौथ
चक्र पे गीली मिट्टी
हाथ में धागा
३९
संध्या लालिमा
बगीचे में किशोर
हाथ में पव्वा
४०
अनाज मंडी
गाये बैलगाड़ियाँ
भीगे अनाज
४१
चैत्र की भोर
लोटे में दूर्वा फूल
कोमल हाथ
४२
जन्म दिवस
शीश पटल पर
चल संदेश
४३
चैत्र की भोर
कागले उड़ा रही
नवयौवना
४४
चैत्र की दूज
स्त्री के हाथ में थाली
रोली चावल
४५
आँख में आँसू
शहीद की प्रतिमा
हाथ मे राखी
४६
होलिका साँझ
जलती आग पर
फूलों का हार
४७
अल्फ्रैड पार्क
मूछों पर ऐंठन
यज्ञोपवीत
४८
महासागर
ग्लोब पर श्री लंका
नीली सतह
४९
छाछ राबड़ी
चुनरी पे जौं सूखे
छाछ करे माँ
५०
नीम की छाल
शिशु के फुंसी पर
निमोली आम्र
५१
आँक का दूध
रूई से भरे डोडे
ऊँट का भोज
५२
धतूरा बीज
शिव पिण्डी पे भोग
बाँधते पत्ते
५३
मतीरा क्यारी
मेड पे बैठी वृद्धा
बीज से गिरी
५४
कार्तिक संध्या
खेत में दौड़े चूहे
बाज झपट्टा
५५
आश्विन भोर
नीलकण्ठ दर्शन
चारे के ढेर
५६
खेत में डेरा
गले लटकी बाल्टी
ऊँटनी दुग्ध
५७
आश्विन भोर
खेत में बाल श्रम
मयूर पिच्छी
५८
दीपयामिनी
बालिका लिए दीप
नई चूनर
५९
अमरबेल
शरणार्थी शिविर
आटे के बोरे
६०
चैत्र की भोर
शंखपुष्पी पंचांग
दूध में लस्सी
६१
चैत्र यामिनी
वट में मधु बाल्टी
हाथ में धुआँ
६२
जैवन्ती लता
पत्ते पर सुपारी
सौंफ सुगंध
६३
भोर का तारा
गृहिणी को देखती
रंभाए गाय
६४
मूँगफल्लियाँ
भट्टी पर कड़ाही
फैले छिलके
६५
बास्ता की गंध
बाँस के झुरमुट
खिले कलियाँ
६६
कुहासा भोर
खेत में नीलगाय
भिड़े वाहन
६७.
रंग पंचमी
बाला के हाथ पैर
सजे मेंहदी
६८.
पहाड़ी गाँव
किसानों के समूह
लकड़बग्घा
६९.
ज्येष्ठ की भोर
बोनसाई में आम
शांत कूलर
७०.
शीशम छाँव
वृद्ध के कंधे शिशु
चौकी पे हाँडी
७१.
गोंद के लड्डू
चौके में माँ के साथ
भाई बहिन
७२.
कुंभलगढ़
मास्क पहने खड़े
रिक्शा चालक
७३.
विद्युत तार
कबूतर पंक्तियाँ
उल्लू का स्वर
७४.
अक्षय तीज
हुआ घूमर नृत्य
चाक पूजन
७५.
देवउठनी
दीपक पर थाली
कजरी आँखे
७६.
गंगा दशमी
माँ बेटी को चूनर
कलंगी साफे
७७.
गेंहूँ का खेत
झोपड़ी में बालिका
रस्सी पटली
७८.
नकाब पोश
कोरोनो रोग जाँच
सहमे लोग
७९.
नँगाड़ा ध्वनि
फाग मे ओलावृष्टि
आँखों में जल
८०
फागुनी भोर
ओस में भीगी कली
मोर कोयल
८१
फाग के रंग
बाला के हाथ थाली
रोटी पे ओले
८२
छान का घर
ओलों से वृद्धा बची
थाली की ओट
८३.
गाड़ी में घर
चूल्हे में वर्षा जल
घन का स्वर
८४.
साँभर झील
टोंटी पर मवेशी
नमक चूरा
८५.
चाँदनी रात
बबूल पे मोरनी
ताके तेंदुआ
८६.
जीवन बीमा
बाँस की झोंपड़ियाँ
वृद्धा की हँसी
८७
मुख पे मास्क
गहनों के विक्रेता
आँखों में नीर
८८.
नारी दिवस
चूल्हा फूँकती बाला
आँखों में डोरे
८९
नारी दिवस
बस में भरी भीड़
नवीन वस्त्र
९०
नारी दिवस
पुल का उद्घाटन
पिलाये नीर
९१.
नारी दिवस
दूध दुहती वृद्धा
पीठ पे शिशु
९२.
नारी दिवस
गार्गी सम्मान पत्र
मंच पे बेटी
९३.
अर्द्धयामिनी
पथ में काला घट
चौमुखा दीप
९४.
बाल दिवस
लिये दीये की तुला
सुने भाषण
९५.
करील गंध
रसोईघर में माँ
बरनी में तेल
९६.
ईख का रस
नींबू तोड़े बालिका
घूमे चरखी
९७.
धूप दशमी
घी मरा मर्तबान
प्रेम सुगंध
९८.
चैत्र की भोर
कन्या के भाल टीका
झारे में दूर्वा
९९.
फाग पूर्णिमा
बालिका के मेंहदी
खील बतासे
१००
होली का डाँडा
झूमें पकी सरसों
खड़ा बिझूका

नाम–बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः 00

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।