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सफर में मिलते तो बहुत है /
परन्तु पुन: कम ही मिलते है /
और जो पुन: मिलते है /
तो फिर वो बार बार मिलते है /
अपनी खुद की पहचान बनाओ /
जो बहुत मुश्किल से बनती है /
नाम मिटने वाले बहुत मिल जायेंगे /
और ख्याति दिलबाने वाल कम होते है /
जिंदगी को आगे बढ़ाकर कदम रखो /
आगे बढ़ाने वाले बहुत कम मिलते है /
पीछे और निचे गिराने वाले बहुत मिल जायेंगे /
समाज भी विचित्र है जो तालियां बजता है /
जो लोग जाग कर सपने देखते है /
और अपनी मेहनत से कुछ कर जाते है /
और एक प्रतिष्ठित पद पा जाते है /
उन्हें निचा देखने को कुछ भी कर जाते है /
अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का /
और अपना लक्ष्य को अपनी कविलित से पा जाए /
इसमें भी गलत कुछ बोलकर /
आग लगाने के लिए माचिस लेकर खड़े है/
यदि बनानी है तो दोस्तों जिंदगी को यादगार बनाओ /
अपने कुल ,समाज और गांव का नाम रोशन कर जाओ /
बाते बनाना और काम चोरी करना बहुत आसान है/
लोगो का स्नेह प्यार पाना और काम कर जाना मुश्किल है /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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