यमुना किनारा

0 0
Read Time1 Minute, 50 Second

sandhya

बहुत याद आता है मुझको वो यमुना किनारा।

वो नीला सा पानी,वो बहती सी धारा।
वो पावन  सी भूमि,वो मथुरा हमारा।।

सुबह सवेरे वो मन्दिर को जाना, वो यमुना किनारे घँटों बिताना।।
वो बचपन की मस्ती,वो बहता सा पानी।।

बहुत याद आता है मुझ को यमुना किनारा।

वो बहनों के संग में यमुना पर जाना,ठाकुर जी के लिए पानी भर लाना।।
वो अपना जमाना,घाटों पर था जब अपना ठिकाना।।

बहुत याद आता है वो यमुना किनारा।।

वो कल कल सी धारा,वो निर्मल सा पानी।
वो कच्छप का दौड़ना,वो मछली सुनहरी।।

बहुत याद आता है वो गुजरा जमाना,
वो यमुना किनारा ,जहाँ घर था हमारा।।

घाटों पर चौबो की चौपाल लगाना,जारी अभी भी है।
पर बदल गया है वो सारा नजारा।।

बहुत याद आता है वो यमुना किनारा।।

वो कीड़ो का पानी,वो बास पुरानी।।
वो नालों का गिरना,वो झागों का उठना।।

वो नमामि यमुने का नारा,वो वोट बैंकिंग सहारा।।

वो गटरों का पानी ,वो सड़को के नाले।
जो गिराए जा रहे है नदियों में सारे।।

कहा गए वो कृष्ण हमारे,कहा है यमुना पुत्र हमारे।
किया था जिन्होंने कलिया के विष से मुक्त यमुना को।।

कहा खो गया वो नदिया का पानी
क्या खो गयी अब ये बातें पुरानी।।

देखी नही जाती करूण दशा यमुना की।
बहुत याद आता है वो यमुना का पानी।।

✍संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

विधाता

Mon Jul 29 , 2019
हे मेरे विधाता करो कुछ तुम उपाय हो श्रद्धा मन में जीवन हो आसान है पल पल घटती उम्र खत्म होती कर अपने काम खत्म सफर खत्म हो ये सत्य अटल है नश्वर सब संसार तो भी घेरे मोह रहे मन संताप विचलन हो सदा पार नही बोलो करे क्या […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।