#कीर्ति जायसवालइलाहाबाद
Read Time1 Minute, 3 Second
*****************
सत्य का उसने दीप जलाकर
असत्यपूर्ण अंधकार मिटाया,
सत्याग्रह की राह पर चलकर
भारत भूमि स्वतंत्र कराया।
लकुटी ही थी एक सहारा,
लकुटी को न कभी उठाया।
एक धोती लपेटे रहते,
सत्य का सिर पर ताज था।
तन था उनका साँवला,
अफ्रीकन का साथ दिया।
बाल्यकाल से दयावान थें,
हिंसक को भी माफ किया।
शत्रु पर न वार करो,
करना ही है प्यार करो।
बापूजी के वचन थें ऐसे
“दया-प्रेम के भाव धरो”।
क्यों न चारो भेद सहो
सत्याग्रह पर डटे रहो,
फिर ऐसा भी दिन आएगा
दिल से वह माफी माँगेगा,
तुम न अपना क्रोध धरो,
भ्रम में था वह माफ करो।
प्रकृति का नियम जान लो
करके क्षमा महान बनो,
पशु ही लेते हैं बदला
इंसान हो इंसान रहो।
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
October 3, 2017
एहसास की अभिलाषा
-
March 1, 2019
आने का वादा था..
-
August 24, 2017
अपमान
-
May 24, 2019
उसकी आँखों में कोई तो जंगल रहता है