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कर रही है आत्महत्या,
राह चलती छेड़खानी
अब कहाँ है चिर सुरक्षित,
अस्मिता की रातरानी।
आचरण के आनयन ही,
कुछ अनैतिक हो गए हैं
खो चुके आदर्श संयम,
शिव नरोत्तम सो गए हैं
है न कोई घर अछूता,
हुई चर्चित चौमुहानी।
अब नई दिल्ली सशंकित,
डर रही है निर्भया तक
बह रही है फगुनहट जो,
है नहीं मौसम नियामक
मौन थाने रुके निर्णय,
धृष्टवादी राजधानीl
मनचली है सड़क निपतित,
सोच का भी दम घुटा है
है धरा आँचल विहीना,
शांति का सौरभ लुटा है
हाथ से है बाग छूटी,
है निराश्रय बागबानीll
#शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
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