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धरती के कण कण
में जिसका आभास है।
ये ही महारास हैं ।
अंतर्मन में का वास है ,
उससे मिलन ,
ये ही महारास है।
धरती से अंबर तक ,
देखो हो रही ।
अमृत की बरसात है ।
ये ही महारास है ।
राधे का श्याम से ,
श्याम का राधा से
मिलन यह कुछ खास है ।
ये ही महारास है ।
जब भींग जाये मन
प्रभु के संग तब
होता जो एहसास है ।
वह कुछ खास है ।
ये ही महारास है ,
ये ही महारास है।
यह प्रभु से मिलन
की रात है,
ये ही महारास है।।
#संध्या चतुर्वेदीअहमदाबाद, गुजरात
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