ये ही महारास हैं…..

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sandhya
धरती के कण कण
 में जिसका आभास है।
 ये ही महारास  हैं ।
अंतर्मन में का वास है ,
उससे मिलन ,
ये ही महारास है।
 धरती से अंबर तक ,
देखो हो रही ।
अमृत की बरसात है ।
ये ही महारास है ।
राधे का श्याम से ,
श्याम का राधा से
 मिलन यह कुछ खास है ।
ये ही महारास है ।
जब भींग जाये मन
प्रभु के संग तब
 होता जो एहसास है ।
वह कुछ खास है ।
ये ही महारास है ,
ये  ही महारास है।
यह प्रभु से मिलन
 की रात है,
ये ही महारास है।।
#संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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