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उदास रात के साये बड़े घने है /
तेरी चाहत के उजाले बहुत जरूरी है /
चाँद लम्हो की मुलाकाते महकती मुझमे /
जिसके आगोश में सांसो का सिलसिला कायम है /
महकी महकी सी फिजाओ में तेरी खुशबू है /
दूरियां जैसे सीमटसी हो इन हवाओ में /
कितने नजदीक से लगते हो फसलों से भी /
तेरे पास होने का अहसास दिलाता है ये दिल /
कल का क्या हाल होगा ये तो खुदा जाने /
आज तुम मेरी मोहब्बत की कहकशा हो बस /
जितना जीना है आज रात ही जी लेता हूँ /
क्योकि उदास रात के साये बड़े घने है /
तेरी चाहत के उजाले बहुत जरूरी है /
दिन तो सुकून से जाता है /
रात आते ही फिर ख्याल आता है /
आँखों को बंद जैसे ही करता हूँ /
तेरी तस्वीर बार बार सामने आ जाती है /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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