0
0
Read Time35 Second
हवा भोर की
भर लो सांसों में
नव-ताजगी से तुम
भर लो तन को भी.
दिन चढ़े, तीक्ष्ण -धूप
सहना पड़ जाता है
जीवन के आपाधापी में
जलना पड़ जाता है.
उमस से लथपथ
है समय अब तो,
हो जाती बारिश
कभी असमय अब तो.
राह जीवन के
गंदले हो जाते है
आंसू से आंखें
धुंधले हो जाते है.
कीच-कादों में
सन जाते हैं
निर्मल मन भी.
पद-मद में
बन जाते ‘बुरे’
भले जन भी.
#पूनम (कतरियार)
Post Views:
402