बदलते देखा है

0 0
Read Time1 Minute, 32 Second
arun pandey
समय चक्र को हाथो के वक्र को बदलते देखा है
दिल के ग़मो को आखो के सिकन को बदलते देखा है
ये क्या हुआ कि भृकुटी तन गयी
मन सरोवर मे एक अग्नि रेखा बन गयी
चंचल चपल चतुर वाक्य,कुछ ऐसा ही कर गयी
अब घात क्या प्रतिघात क्या,आत्मसात दिल को कर गयी
नदी के नीर को सागर समीर को,बदलते देखा है
लोंगो के ज़मीर को सुंदर शरीर को बदलते देखा है /
सहसा ऐसा भी किया जाता है
सहारा दे छोड़ा भी जाता है
असीमित जब सिमित हो जाता है
आग लगाती है सैलाब पिघल जाता है
विस्वास के दामन को घर के आँगन को बदलते देखा है
रिश्तों के सावन को प्यार के मौसम को बदलते देखा है
समय चक्र को हाथों के वक्र को बदलते देखा है ///
#डॉ. अरुण पांडे
#कवि परिचय 
नाम  – डॉ. अरुण पांडेय 
देश विदेश  मे  150 से ज्यादा कवि  सम्मेलन  मे शिरकत 
जी News ,News  18, News 24 और आकाशवानी पे कविता  पाठ
Debator विभिन्न TV चैनल 
वाख्यान  – अब तक  7 देशो  मे ( South Africa  , सिंगापुर, मारिशस , मलेशिया , कनाडा , इंडोनेशीआ , नेपाल )
वर्तमान – चिकित्सक ,AIIMS ,नई  दिल्ली मे कार्यरत

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

  भारत बंद 

Sat Sep 15 , 2018
भारत बंद का कैसा महाजाल, कर देता है जनता को बेहाल, माँगे पूरी मनवाने की खातिर, कुछ लोग करते है हड़ताल, एक दिन भारत बंद होने से, अर्थव्यवस्था का हो बुरा हाल, सारे कामकाज ठप्प पड़ जाते, दैनिक मजदूरों के होते फटेहाल, बड़े लोग बजाते चैन की बंशी, आम आदमी […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।