#सुनिता रावत,अजमेरपरिचय-सुनिता रावतअजमेर (राजस्थान)व्याख्याता-समाजशास्त्रउपाधि-स्नात्तकोक्तर -समाजशास्र,इतिहास,राजनीति-विज्ञान
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मैं छुपाती हूं,अपने भीतर प्यार,
छुपाता हैं, सबूत जैसे हत्यारा,
जुआरी अपना -अपना दारिद्रय,
ओस अपने भीतर छुपाती है,जैसे भाप,बर्फ जैसे तरलता ,
सदगृहस्थनें छुपाती है,जैसे अपनी पुरानी चिट्ठियां,
मछलियां अपने आँसू,
समुद्र जैसे अपनी प्यास,
कुत्ता जैसे भविष्य में छुपाता हैं,
रोटी का एक टुकड़ा,
उस तरह जिस तरह दियासलाई
छुपाती हैं,अपने भीतर आग,
छुआ गया मुझे अगर तो,
बिल्कुल संभव है,
मैं जल जाऊं….।
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