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कुछ तो शर्म करो दिल्ली, क्या बुरा हाल किया अन्नदाता का।
मिट्टी से ये सोना निकाले, अनमोल पूत भारत माता का।।
तपती धूप की गर्मी में भी उफ्फ तक ना ये करता है।
पाला पड़ती सर्दी में भी देखो इसका बदन ठिठुरता है।
सरकार ने इतना मजबूर किया ये आत्महत्या तक करता है।
सबका पेट भरकर भी इसका परिवार भूखा मरता है।।
इतने से भी ना तेरा पेट भरा तो लिया तूने ये रास्ता चुन।
इस अन्नदाता की काया को कर दिया तूने ख़ूनम खून।।
जब अपना हक मांगने आया तो इस पर डंडा बरसवाया।
उतार कर इन्हें रोड पर वाटर कैनन भी चलवाया।
पसीने से भरा माथा जिनका उसको खून से रंगवाया।
क्या कसूर था इनका जो इनको गोलियों से मरवाया।।
फ़टी धोती फटा कुर्ता औऱ फ़टी हुई इनकी जूती है।
चमकती शान-ओ-शौकत से इनकी जिंदगी अछूती है।
सच को तूने कुचल दिया अ दिल्ली तू तो झूठी है।।
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।
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