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हाथों में अंगार दिल में ज्वाला लिए निकला हूँ,
आज फिर सीने में हिन्द की तस्वीर लिए निकला हूँ।
माँ भारती का पुत्र हूँ॥
आँखों में जोश तो दिल में दर्द लिए निकला हूँ,
हिन्द का सिपाही हूँ,नारा जय हिन्द के लिए निकला हूँ।
हाथों में खड्ग,ढाल,बारूद लिए निकला हूँ॥
मैं देश हित मन में पाले सीमा पर आ बैठा हूँ,
नस-नस दुश्मन की तोड़ने मैं लड़ने आ बैठा हूँ।
माँ भारती का पुत्र हूँ,मैं लड़ने आ बैठा हूँ॥
मस्तक पर कफ़न ताने आया हूँ,लोहे के चने चबवाने आया हूँ,
दुश्मन से लड़ने आया हूँ,काया उसकी क्षत- विक्षत हो,लिए हौंसला आया हूँ।
दुश्मन के दांतों को खट्टा करने मैं हिमखण्डों में आया हूँ॥
निज हित तोड़ चला आया हूँ,
माँ का आँचल छोड़ आया हूँ।
भारत माँ की रक्षा खातिर
यौवन सुख में छोड़ आया हूँ।
माँ भारती का पुत्र हूँ…॥
मोह प्राणों का भंग कर सीमा पर लड़ने आया हूँ,
दुश्मन के घर में,आज मैं अपना तिरंगा फहराने आया हूँ।
‘शौर्य’ बन मैं भी जंग फतह करने आया हूँ॥
सरहिन्द की जमीं पे अपना शीश नमाने आया हूँ,
हो जाऊं गर शहीद ‘जंग-ए-मैदां’ में,
शीश नमाने मैं अपना…
तिरंगा साथ लाया हूँ॥
#संदीप भट्ट ‘शौर्य’
परिचय : व्यवसाय से वकील संदीप भट्ट ‘शौर्य’ लिखने का खासा शौक रखते हैं। राजस्थान के डूंगरपुर में आपका निवास है। यही जन्म स्थान तथा जन्मतिथि १६ मई १९८२ है। बीएएलएलबी तक शिक्षा हासिल करके डूंगरपुर में ही वकालत करते हैं। उपलब्धि यही है कि,नवोदित रचनाकार के रूप काव्य गोष्ठी में शामिल होते रहते हैं। एक मंच पर सम्मान भी मिला है। लेखन का उद्देश्य-जनचेतना, और मन के भावों का संदेश अन्य तक पंहुचाना है।
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