मेरो छोटो सो *कान्हा*
देखो कैसे मुसकाय रहो री
चुप चुप माखन खाय के
देखो कैसे मुँह छपाय रहो री
जैसेही देखो मात यशोदा को
इत उत लुक़त फिर रहो री
नन्द बाबा के डर से देखो कान्हा
घर में न आय रहो री
गोप ग्वाल संग नदिया तीरे बैठ के गोपियंन के वस्त्र चुराय रहो री
लाज़ न आई कान्हा को तनिक भी
सारी गोपियाँ देखो लजाय रहीं री
जब जब राधा घर से निकरे
पीछे पीछे कान्हा हो लियो री
मुरली की मधुर तान छेड़ के कान्हा
सबको मन देखो मोह रयो री
सास नंद सबरी गारी देत हैं
छोटों सो कान्हा कैसे भरमाय है री
मोटी मोटी अखियों में कजरा लगा के
सबके मन को मोहे ले जात री
यशोदा को नंदलाला बड़ों नटखट है
कोई गोप ग्वाल न इसे बचत री
कबहुँ तान छेड़े मुरली की
तो कबहुँ माखन चुराय ले जात री
अदिति रूसिया
वारासिवनी