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(तर्ज पल पल पल के… पास तुम रहती हो )
जय जय जय जय गुरु देव , मुझे दर्शन दो /
अपनी सराण में तुम, मुझ को ले लो /
जय जय जय जय गुरु देव , मुझे दर्शन दो //
कल रात सपने में, मैंने तुम को देखा था /
जैसे कह रहे थे तुम, आ जाओ मेरी सराण/
ये कैसा सपना था, क्या सच्च हो सकता है /
यदि ये सच हो जाये, मेरा जीवन साभार जाये /
जय जय जय जय गुरु देव , मुझे दर्शन दो /
अपनी सराण में तुम, मुझ को ले लो /१/
हर शाम सबेरे, संजय तुम्हे जपता है /
हर सुबह उठाते ही, तेरी पूजा करता है /
श्रध्दा और भक्ति का, मुझे इतना फल तो दो /
मेरे दीक्षा गुरुवार, तेरे कर कमलो से हो /
जय जय जय जय गुरु देव , मुझे दर्शन दो /
अपनी सराण में तुम, मुझ को ले लो /२/
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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