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नव भोर हुई,नव दिन निकला
चहुँ ओर चमन था उजला उजला
कहीं पंछियों की चहचहाहट थी
कहीं मुसाफिरों की आहट थी
कहीं खुशबू कलियों की मुस्कान की थी
कहीं वाणी नदियों के उफ़ान की थी
कहीं गूँज मंदिरों में प्रभुनाम की थी
कहीं गूँज मस्जिदों में अज़ान की थी
कहीं गुरुद्वारों में मधुर गुरुवाणी थी
कहीं गिरिजाघरों में मरियम की कहानी थी
सृष्टि पूरी ही यूँ सुहानी थी
जैसे देवों की पावन कहानी थी
मानवों में भाईचारा था
हर ओर अमन का नारा था
नव भोर हुई , नव दिन निकला। …।
पर उफ़! नव दिन पर यूँ काली बदरी छायी
चारों ओर नफरत की यूँ आंधी आई
हाय ! नियति ने ये क्या कर डाला
भाई को भाई से ही मरवा डाला
नफ़रत ने अमन का खून किया है
सुन्दर धरती ने यूँ लहू पिया है
जहाँ कभी अमन का नारा था
वहाँ अब भेदभाव बँटवारा है
अब कहीं चीख़ है बेबस विधवाओं की
कहीं चीख़ है लाचार माँओं की
कहीं चीख़ है माँ के दुलारों की
तो कहीं गूँज है क़ातिल नारों की
अब कैसा भला ये देश है, और कैसी ये आज़ादी है
जहाँ रक्त की नदियाँ बहती है , मानव नफ़रत का आदी है
अब अमन चैन सब खो गया है ,मानव धर्म ही सो गया है
जाने फ़िर वो सुबह कब आएगी, जो फ़िर धरती को खुशियों से महकाएगी
जाने कब ?… जाने कब?……. जाने कब ?….
#रिंकल शर्मा
परिचय-
नाम – रिंकल शर्मा
(लेखिका, निर्देशक, अभिनेत्री एवं समाज सेविका)
निवास – कौशाम्बी ग़ाज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश)
शिक्षा – दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक , एम ए (हिंदी) एवं फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा
अनुभव – 2003 से 2007 तक जनसंपर्क अधिकारी ( bpl & maruti)
2010 – 2013 तक स्वयं का स्कूल प्रबंधन(Kidzee )
2013 से रंगमंच की दुनिया से जुड़ी । बहुत से हिंदी नाटकों में अभिनय, लेखन एवं मंचन किया । प्रसार भारती में प्रेमचंद के नाटकों की प्रस्तुति , दूरदर्शन के नाट्योत्सव में प्रस्तुति , यूट्यूब चैनल के लिए बाल कथाओ, लघु कथाओंं एवं कविताओं का लेखन । साथ ही 2014 से स्वयंसेवा संस्थान के साथ समाज सेविका के रूप में कार्यरत।
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