छू लेने दो गुरुवर अपने चरण, माना की में आज्ञानी हूँ /
आप तो अंतर्यामी हो , इसी लिए तो आया शरण /
छू लेने दो गुरुवर अपने चरण, माना की में आज्ञानी हूँ /
मोह माया ने हम को पकड़ा है, और अपनों के प्यार ने जकड़ा है /
न कोई तेरे संग आया था, और न कोई संग तेरे जाएगा /
फिर क्यों तू इस भावर जाल में, अपने को क्यों उलझा रहा /
छू लेने दो गुरुवर अपने चरण, माना की में आज्ञानी हूँ /१/
आप तो अंतर्यामी हो , इसी लिए तो आया शरण /
अच्छो को बुरा साबित करना, दुनिया की पुरानी अदात है /
है ज्ञानी नहीं कोई यहाँ, है सब यहाँ अज्ञानी जन /
फिर क्यों तू इस खेल में, मानव अपने को उलझा रहा/
आज जाओ तुम सब गुरुवर की शरण, यहाँ सब कुछ तुझे मिल जायेगा /२/
छू लेने दो गुरुवर अपने चरण, माना की में आज्ञानी हूँ /
आप तो अंतर्यामी हो , इसी लिए तो आया शरण /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।