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एक शाम जिंदगी की आज भी ढल जाएगी,
फिर से एक रात तुम्हारे बिन ही निकल जायेगी।
मायूसियों का दौर मुझे जो तुमने तोहफे में दिया,
ऐसा कर के क्या तेरी तकदीर बदल जाएगी।
तुमने तो अपना लिया है रुख़सती का सिलसिला,
दिल में मिरे फ़िर भी मिलन की उम्मीद सी पल जाएगी।
बेचैन हूँ मैं किसलिए ,खुद से मैं अब पूछलूँ,
तुम तो जज़्बातों से खेलो धड़कन भी बहल जाएगी।
दिल में तेरे क्या है ‘नेहा’ ये समझ पाती नहीं,
क्या करूँ जिससे ये जीवन डोर सम्भल जाएगी।।
नाम – नेहा चाचरा बहल
शिक्षा – ऐन टी टी, बी कॉम, एम कॉम, एम ए (हिंदी),बी एड, प्रभाकर(गायन)
सी सी सी, डी टी पी एवं सी आई ए इन कंप्यूटर एप्लिकेशन
क्षेत्र – सहायक प्रबंधक ( मानव कल्याण विकासवादी संस्थान )
पता – झांसी उत्तर प्रदेश
विधा – गीत, ग़ज़ल, भजन, देशभक्ति, कविता, पंजाबी टप्पे ।
सम्मान – विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि प्राप्त (द्वारा प्रतापगढ़ यूनिवर्सिटी) ।
प्रकाशन – बुंदेलखंड की कवियत्रियाँ , दुल्हन , अभियान टुडे , दैनिक जागरण, जन सेवा मेल , अमर उजाला आदि समाचार पत्रों में भी रचनाओ को स्थान प्राप्त हुआ है।
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