गुलामी की वो आखरी रात

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khushabu kumari
आज की ये रात , है भारत के लिए खास ,
1947 को इसी दिन , हो रहा था स्वतंत्रता का आगाज़ ,
नीव रखी जा रही थी ,
सालों की तपस्या की , तस्वीर रची जा रही थी ,
जब पूरा विश्व , अँधेरे में सो रहा था ,
भारत मे आज़ादी की रोशनी सजी जा रही थी ,
मुकम्मल होने वाली थी वो ख्वाहिश ,
1600 से 1947 तक के संघर्ष की फरमाइश ,
लम्बे समय से गुलाम भारत , आज़ाद होने वाला था ,
गुलामी के हर पन्नो का , इतिहास बनने वाला था ,
12 बजने का इंतज़ार है हमे ,
कुछ और घण्टो का , एहसास है हमे ,
हर आँखों मे बस एक ही इंतज़ार था ,
गुलामी का वो आखरी एहसास था ,
रात बड़ी लंबी गुजर रही थी ,
क्योंकि वो रात , गुलामी की आखरी रात थी ।
गुलामी की आखरी रात थी।”
गुलामी के इस रात में जब स्वतंत्रता के बीज बोए जा रहे थे ,
उस सूरज को भी इंतजार था ,
भारत मे स्वतंत्रता का , दीपक जो जलाना था ,
गुलामी की वो आखरी रात थी ,
गुलामी की वो आखरी एहसास थी ।।।
#खुशबू कुमारी

matruadmin

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