1.
पालन पोषण पेड़ प्रिय, परम्परा पितभाँति।
पैर *प्रलोभन* पंथ पर, पंछी पथिक पदाति।।
2.
पौरुष पथ पहचान पुरु, पूत पेड़ प्रतिपाल।
*प्रलोभन* प्रतिघात पहल,पातक पड़े पताल।
3.
पल पल प्रण पूरा पड़े, *प्रलोभन* परित्याग।
पान पताशा पाहुना, पूजन पेड़ प्रयाग।।
4.
पेड़ पर्वती पर्यटन, पथजलीय पतवार।
परे *प्रलोभन* पातकी, पर्यावरण प्रहार।।
5.
पेड़ परिक्रम पीपली,प्रिय परवरदीगार।
पूत पातकी पंथ पर, *प्रलोभने* परिहार ।।
6.
प्रियतम पत्र पठाईए ,पहले पढ़ परबद्ध।
*प्रलोभन* परित्यागियो, पाले पेड़ प्रसिद्ध।।
7.
प्रेम पत्रिका प्रीति पढ़े, प्रिय प्रसन्नता पास।।
प्रणय *प्रलोभन* प्यार पर,पाएँ पहल प्रकाश।
8.
पौधारोपण प्रण पले,पाणिग्रहण प्रचार।
पर्यावरण *प्रलोभने*,पायक पथ प्रतिहार।।
9.
परसों पहले पहर पर,पता परस्पर पाय।
प्रीत *प्रलोभ* प्रयास पर,परिवारिक पर्याय।।
10.
परदेशी प्रिय पावना,पेड़ प्रकार पलास।
प्रण *प्रलोभ* पर्यावरण,पा प्रमोद परिहास।।
11.
प्रीत पहल प्रीतम पगी,परदेशी परनार।
प्रिय *प्रलोभन* प्रसारती,पनिहारी पनहार।।
12.
पुत्री प्रिये परणातहीं, *प्रलोभन* पर प्रसार।
पीहर पौधे प्रीत पर ,पर्यावरण पखार।।
13.
पर पीड़ा पर पालना, *प्रलोभ* परोपकार।
पर्यावरण पखारता, पावन पारावार।।
14.
पर्वतराजा पिताश्री, प्राणी पशु पतिनाथ।।
प्रीत *प्रलोभन* पंथ प्रिय,पारवती पतिसाथ।।
15.
प्रातकाल पय पीजिये, *प्रलोभन* पहलवान।
पर्यावरण परम्परा , प्रण पूरण परवान।।
16.
पाथल पीथल पातशा,प्रण पाती परिताप।
पत *प्रलोभन* पालना,परिजन प्रीत प्रताप ।।
17.
पर्यावरणी पर्यटन,परिकल्पित परिणाम।
पार पयोधि परिभ्रमण, *प्रलोभने* परधाम।।
18.
प्रभासपट्टन पर पड़ा, पाला पूँजी पार।
*प्रलोभने* प्रतिघातिया ,पर्यावरण प्रहार।।
19.
प्राण प्रतिष्ठा पद प्रथा, पाले पालनहार।
प्रीत *प्रलोभन* पालते,पुरुषोत्तम परिवार।।
20.
परनारी परधन पगे, पातक पूत प्रजाति।
पंथ *प्रलोभन* पातकी ,प्राण पतन परजाति।
नाम- बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः