किसान …

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shalini jain
किसान अन्नदाता
पर दुर्भाग्य ऐसा की
उसके हिस्से में ही अन्न नहीं आता
कैसा भाग्य ,कैसी नियती ,कैसा तक़दीर का खेल
अन्न दाता ही खुद अन्न के एक एक दानें को तरस जाता
कर्ज ,भूख और मौत तीनो का अन्नदाता से गहरा नाता
भूख और कर्ज से झुकी कमर
कोशिशे जब हो गयी सब व्यर्थ
तब सब्र ने साथ छोड़ा
ज़िंदगी ने मौत की तरफ मुँह मोड़ा
झूल गया वो सब परेशानियों का हल ढूंढ़ते ढूंढ़ते
सवाल है मेरा क्यूँ होता है ऐसे
जो अन्न उगता है जो सबकी भूख मिटाता है
क्यों वो खुद भूखा रह जाता है
न ही कोई खुवाहिश न ही कोई जरुरत
फिर क्यूँ चढी कर्ज की परत दर परत
फिर एक ही समाधान
ज़िंदगी का अंत
हर किसान की यही दुःखद कहानी
आओ मिलकर कुछ ऐसा कदम उठाये
जिससे कर्ज और भूख काल बनकर इनको न निगल जाये
                                 #शालिनी जैन

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।