फन्ने खां

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edris
साधारण फ़िल्म
दोस्तों जब कोई शख्स अपने ख्वाब पूरे नही कर पाता तो वह यही ख्वाब अपने बच्चों के साथ सजाने लगता है
दंगल, अपने, बॉक्सर ओर भी कई फिल्में इसकी उदाहरण रही है
फन्ने खां एक आम आदमी प्रशांत शर्मा (अनिल कपूर) की कहानी है जो कि एक कामयाब गायक बनना चाहता है लेकिन फेक्ट्री में काम करता है परिवार के खातिर| काम बंद हो जाता है तो टेक्सी चलाने लगता है परिवार के लिए, सपना कहि धूमिल होकर खोने लगता है
या परिवारिक जद्दोजहद में गुम होने लगता है
परिवार में उस्की पत्नि ओर एक बेटी है पत्नि (दिव्या दत्ता) बेटी लता (पीहू) है
क्योकि प्रशांत गायकों से इस कदर प्रभावित है कि उसने अपनी बेटी का नाम भी लता जी पर ही रखा था क्योकि प्रशांत अपनी बेटी को लता जी जैसी सिंगर बनाना चाहता है
लेकिन पीहू का मोटापा उसकी मज़ाक की वजह बनता है और हर कोई उसका मजाक उड़ाता है
प्रशांत उर्फ फन्ने खां की टेक्सी में एक परेशान पॉप सिंगर बेबी सिंह अपने पी ए परिशान होकर बैठ जाती है
प्रशांत अपने दोस्त अधीर(राजकुमार) की मदद से सिंगर बेबी सिंह का अपहरण कर लेते है और फिर शुरू होता है घोल मोल
फ़िल्म का अंत मे कुछ भी नया नही है सामान्य फिल्मो का अंत भी सामान्य होता
ओर वही हुवा भी
कलाकारों की बात करे तो अनिल शानदार काम करते है, राजकुमार भी सधे अभिनेता है साथ ही दिव्य दत्ता भी शानदार काम कर गई है
फ़िल्म की कहानी दलाल भाइयो ने लिखी है
जिसका पहला हाफ बढ़िया लेकिन दूसरा हाफ औसत लगता है
इरशाद कामिल के गाने अच्छे है जिन्हें स्वरबद्ध किया है अमित त्रिवेदी ने
एक गाना अच्छे दिन कब आएगे चर्चा का विषय बना हुआ है जो कि एक है बना हैं|
अतुल मांजरेकर ने राकेश ओम प्रकाश के सहायक के तौर पर लम्बे समय से काम कर रहे है इस बार राकेश ने उन्हें मौका दिया लेकिन वह इस मौके को कितना भुना पाए यह तो 3 दिन की टिकट खिड़की बताएगी
पटकथा कमज़ोर है
कहानी डच फ़िल्म एवरीबड़ीज़ फेमस की रीमेक है
फ़िल्म की एक लाइन स्टोरी तो शानदार है लेकिन बड़ी होने पर फ़िल्म अपनी छाप छोड़ती चली गई और रस्सी हाथ से छूट गई
एस धीरू ने कैमरा चलाने और दृश्य को अच्छे से उकेरा है लोकेशन भी ज्यादातर असली ही ली गई है
फ़िल्म को 2.5 स्टार्स
फ़िल्म के साथ इरफान की कारवां, मुल्क भी प्रदर्शित हुई है शेष फिल्मी समीक्षा आगे मिलेगी आपको
फ़िल्म समिक्षक

#इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।