वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी ,
ज़हाँ चीड़ीयो की की चहचाहात रही चांदनी ,
खेतो मे खिलखिलाती रही रोशनी ,
भँवरो मे मुस्कुराहट भरी है ,
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी !
सूर्य की किरणे चमकता ही रहता है ,
पेड़ो मे फल लदा ही रहता है ,
चीड़ीयो मे गुज गुजता ही रहता है ,
मन मे सांस चलता ही रहता है ,
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी !
नैनो मे मैना चहकता ही रहता है ,
मेहनत मे रंग आती ही रहती है ,
हर जगह हरियाली बढती ही रहती है ,
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी !
ज़हाँ पूरा देश शांति ही शांति है ,
नेताओं के सर पे खादी की टोपी है ,
विद्यार्थी का जीवन रोशन होता है ,
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी !
#रूपेश कुमार