लो चला देखो ये साल चला

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ajay ahsas

लो चला देखो ये साल चला, अठरह को लेके काल चला।

आने वाला जो उन्निस है, वो बीसो सपने पाल चला।।
रूखसत कर दो अब दिसम्बर को, दुख दिल के, अॉसू के अम्बर को
नवबर्ष मे नव अभियान करो, पा लो खुशियों के समन्दर को।
बोरी बिस्तर ये बांध चला,लो चला देखो ये साल चला।
कुछ अॉख से अॉसू टपके थे, कुछ शत्रु जो हम पर लपके थे
कुछ उहापोह की उलझन थी, और खुद में सम्हलने की ठन थी।
दे करके सबको मात चला, लो चला देखो ये साल चला।
थककर रस्ते में रूके कभी, छोटों के आगे झुके कभी
भागे दौड़े घुटनों के बल, फिर भी मन बना रहा चंचल
ठंडी में ओढ़़े साल चला,लो चला देखो ये साल चला।
जो पल देखे वो अच्छे थे, जो लोग मिले वो सच्चे थे
हम ही थोड़े से कच्चे थे, बाकी सब हमसे अच्छे थे
सुख दुख के गुच्छे बांध चला, लो चला देखो ये साल चला।
कुछ लोग खफा हो जाते थे, कुछ लोग रुलाकर जाते थे
दिल तोड़ दिया कुछ लोगों ने, कुछ लोग हमें तड़पाते थे
सबसे कर दो दो हाथ चला, लो चला देखो ये साल चला।
सांसों में उसके सांस हुआ, और आज हमें एहसास हुआ
कोई अरसे बाद हमें चाहने लगा, बातों पे मेरी मुस्काने लगा
दे थप्पी मेरे गाल चला, लो चला देखो ये साल चला।
तुम साथ अगर दो ऐ यारों! तुम को “एहसास” दिलायेंगे
नवबर्ष ज्योति बन जीवन में, जीवनभर साथ निभायेंगे
मेरा हाथ ले अपने हाथ चला, लो चला देखो ये साल चला।।

#अजय एहसास

परिचय : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सुलेमपुर परसावां (जिला आम्बेडकर नगर) में अजय एहसास रहते हैं। आपका कार्यस्थल आम्बेडकर नगर ही है। निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ हिन्दी भाषा के विकास एवं हिन्दी साहित्य के प्रति आप समर्पित हैं।

matruadmin

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