पादरियों की बदचलनी

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vaidik
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है। उनको सारे पादरी और बिशप कोस रहे हैं, क्योंकि उन्होंने ईसाइयों की सदियों पुरानी धार्मिक प्रथा- कुबूलना या आत्म-स्वीकृति या ‘कन्फेशंस’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। यह मांग उन्होंने सरकार से इसलिए की है कि पिछले दिनों केरल के गिरजाघरों में कुछ पादरियों पर इस प्रथा का भयंकर दुरुपयोग करने के आरोप लगे हैं। यह प्रथा ऐसी है कि गिरजे में जाकर ईसाई स्त्री और पुरुष पादरी से एकांत में मिलते हैं और यदि उनसे कोई पाप-कर्म हो गया हो तो वे उसे उसके सामने कुबूल लेते हैं। ऐसा करके वे प्रायश्चित करते हैं और उनका दिल भी हल्का हो जाता है। केरल के एक गिरजे के चार पादरियों पर आरोप है कि उन्होंने एक भक्तिन के कबूलनामे को सुनकर उसका शोषण करने की कोशिश की है। पुलिस सारे मामले की जांच कर रही है। ऐसे सैकड़ों मामले यूरोप के गिरजाघरों में सामने आते रहे हैं। इस तरह के दुष्कर्म हमें सभी धर्मों के लोगों के बीच देखने को मिलते हैं लेकिन रेखा शर्मा का इस पर भड़क उठना स्वाभाविक है, क्योंकि वे यह तर्क कर सकती हैं कि एकांत में किसी महिला का किसी पादरी, मुल्ला या पुरोहित से मिलना तो दुष्कर्म की दावत देना है और फिर उससे अपने किसी गोपनीय कांड की चर्चा करना तो और भी खतरनाक है। इस तर्क में कुछ दम जरुर है लेकिन उक्त ईसाई परंपरा के पीछे गहरा मनोवैज्ञानिक सत्य भी छुपा हुआ है। दिमागी तौर पर बीमार लोगों को मानसिक चिकित्सक कैसे ठीक करते हैं ? इसी तरह ! कुछ पादरियों की बदचलनी अपवाद हो सकती है। उसकी कड़ी सजा उन्हें मिलनी चाहिए लेकिन यदि आप इस धार्मिक प्रथा पर प्रतिबंध लगाएंगे तो कल से मूर्ति-पूजा पर भी प्रतिबंध की मांग क्यों नहीं की जाने लगेगी ? हमारी कई तांत्रिक प्रणालियों को भी दंडनीय बनाना पड़ेगा। धार्मिक प्रथाएं ज्यादातर तो पाखंड और अंधविश्वास पर ही आधारित होती है। इनसे छुटकारा कानून के द्वारा दिलाने से ज्यादा जरुरी है, लोगों में बौद्धिक और तार्किक जागृति पैदा करना।
#डॉ. वेदप्रताप वैदिक

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।