कुछ यादें,किस्से ज़ख्म समेट के,
फटी उम्मीदों की चादर में लपेट के..
हर रिश्ते को अलविदा कर हम चले।
घर की दर-ओ-दीवारों ने किए थे,
वादे खामोश रहने के..
मेरे आँसूओं की वजह न बताने के,
इन दीवारों से भी आज
नागवार हो के..
हम चले..।
ये कैसा आँगन,
जो मैं खिलखिला न सकूं..
दाना चिड़िया को दूँ,और
अपने पंख फैला न सकूं..
झूठे रिश्तों के हर पिंजरे से,
आज़ाद होकर..
हम चले..।
टूटा-टूटा-सा है हर पुर्ज़ा,
मेरी रूह के मकान का..
आँखों से बयां हो जाता किस्सा,
बेजान-सी जान का..
हर टूटा हुआ ख्वाब,
अपने ही घर में दफना के..
हम चले..हम चले..।
#हरप्रीत कौर
परिचय : मध्यप्रदेश के इंदौर में ही रहने वाली हरप्रीत कौर कॊ लेखन और समाजसेवा का बेहद शौक है।आपने स्नातकोत्तर की पढ़ाई समाजकार्य में ही की है। कई एनजीओ के साथ मैदानी काम भी किया है। आपकी उपलब्धि यही है कि,2015 में महिला दिवस पर इंदौर की 100 महिलाओं में इन्हें भी समाजकार्य हेतु सम्मानित किया गया है। आप वर्तमान में महिला हिंसा के विरुद्ध कार्यरत हैं तो,कौशल विकास कार्यकम तथा जनजागरूकता के कार्यों से भी जुड़ी हुई हैं।
Great Feeling in heart true
Aurat ki azadi aur bhavnayo ke sambandh me bahut hi ache trike se likha hai harpreet … keep it up