चींटी बन गई दामिनी

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naveen utkarsh

चींटी एक चढ़ी पर्वत पे,
गुस्से से होकर के लाल।
हाथी आज नहीं बच पाए,
बनके आई मानो काल।।

कुल मेटू तेरे मैं सारो,
कोऊ आज नहीं बच पाय।
बहुत सितम झेले हैं अब तक,
आज सभी लूंगी भरपाय।।

कुल का नाश किया मेरे का,
रौंद पैर के नीचे हाय।
सुन निर्मम हत्यारे द्रोही,
कोई आज बचा नहीं पाय।।

भर हुँकार गरज रही चींटी,
सुन लो श्रोता ध्यान लगाय।
हाथी खड़ा पेड़ के नीचे,
यह सुनकर धीमे मुस्काय।।

हाथी की मुस्कान देख के,
चींटी को आया बहु क्रोध।
चींटी बोली सुन अज्ञानी,
मेरी ताकत का नहीं बोध।।।

देख अकेली तुझको मारुं,
बिना खड़ग बिन कोऊ ढाल।
तड़प-तड़प के प्रानन त्यागे,
ऐसा कर दूं तेरा हाल।।

इतना कहकर चींटी लपकी,
हाथी ने लटकाई सूँड।
चींटी बन गई आज दामिनी,
हाथी का भन्नाया मूँड।।

धीरे-धीरे बढ़ी मारने,
हाथी मारे फिर चिंघाड़।
थर-थर कांपे वह बलशाली,
लेने लगा प्रभो की आड़।।

मोय बचाओ गिरधर नागर,
दीनबन्धु करुणा अवतार।
आज उबारो संकट भारी,
तुम्हें दीन यह रहा पुकार।।

चींटी बोली सुन हत्यारे,
कोउ पाप संगाती नाय।
कर्म करे जैसे धरती पे,
वैसा ही फल लेगा पाय।।

दुश्मन को छोटा मत आंको,
दुश्मन भारी नाहक जान।
आज इसी गलती के कारण,
त्यागेगा तू अपने प्राण।।

क्रोध कुपित चींटी भी भारी,
कहता यह सारा संसार।
तनिक छुआ नहीं उसने हाथी,
लेकिन फिर भी डाला मार।।

                                                                #नवीन श्रोत्रिय ‘उत्कर्ष’

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कौन समझेगा

Tue Apr 11 , 2017
किसी असहाय का दुख दर्द बढ़कर कौन समझेगा, मुसीबत क्या है यह अपने से बेहतर कौन समझेगा। भरे बाजार में बिकने को जो मजबूर हो जाते- विवशता बेबसों की मेरे ईश्वर कौन समझेगा।   #डॉ. कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’ Post Views: 326

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।