बृहद व्याकरणकोश (पुस्तक समीक्षा)

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 मैं अमूमन समीक्षाएँ कम लिखता हूँ । कारण यह है कि काफी संख्या में मिले पुस्तकों में से अगर किसी एक पर लिखता हूँ तो दूसरे साथी सोचेंगे कि उनकी पुस्तक में क्या कमी है !
बात सच भी है । वर्षों की साधना से लिखे किसी पुस्तक को कुछ सौ शब्दों में नकार देना साहित्यिक हिंसा ही तो है ।
बहरहाल,  इधर प्राप्त पुस्तकों की भीड़ में से डॉ. के. आर. माहिया और  डॉ विमलेश शर्मा द्वारा लिखित ‘वृहद व्याकरण कोश’ ने ध्यान आकृष्ट किया है।  इसका कारण यह नहीं है कि व्याकरण पर इधर काम कम हुआ है ,बल्कि यह है कि इस पुस्तक की उपयोगिता है।
 यह सच है कि समाज को भाषा चाहिए और भाषा को व्याकरण चाहिए । व्याकरण के बिना भाषा पूर्ण नहीं होती । भाषा पर व्याकरण के अंकुश का हिमायती होने की वजह से मेरी आलोचना भी खूब हुई है। डॉ माहिया और डॉ शर्मा भी मेरी ही राशि के हैं । दोनों पिछले कई वर्षों से प्राध्यापन के साथ-साथ भाषा के मानक  रूप के लिए कार्य कर रहे हैं ।
आठ खंडों में विभक्त यह कोश ‘ज्ञान वितान’ प्रकाशन से आया है । 750 पृष्ठ को आद्योपांत पढ़ने में थोड़ा वक्त तो लगा पर अब मैं प्रामाणिकता के साथ कह सकता हूँ कि मुद्रण की कुछ त्रुटियों के अलावा मैंने कहीं कुछ गलत नहीं पाया।
     संस्कृत पर अच्छी पकड़ होने के कारण लेखकद्वय ने ध्वनितत्त्वों से लेकर शब्दार्थ विचार तक  बहुत ही अच्छी जानकारी दी है । संधि और समास पर दी गई सामग्री ने मुझे विशेष प्रभावित किया है। हलाँकि, वाक्य विश्लेषणात्मक पक्ष ,  शब्द संपदा  आदि के अलावा अष्टम खंड में भाषा के वैधानिक एवं लोक व्यवहारिक पक्ष को भी शामिल किया गया है ।
   कुल मिलाकर भाषा के विविध घटकों को अच्छी तरह प्रस्तुत किया गया है।  मुझे यह पुस्तक बहुत पसंद आई है और मुझे लगता है कि भाषा का कोई भी अध्येता अगर इसको पढ़ता है तो वह निराश नहीं होगा !
(मातृभाषा.कॉम दोनों सामर्थ्यवान कलमों का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करता है। आशा है, आपकी लेखनी से हिंदी के प्रचार प्रसार को बल मिलेगा !)
पुस्तक समीक्षक-
कमलेश कमल,
साहित्य सम्पादक- मातृभाषा.कॉम

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।