मुझे न बांधना इन कागज के पन्नो में,
उँची दीवारो में, दफ्तर की मेजों में,
साहुकारों की कोठरी में,
गरीब की झोपड़ी में,
रसुखदारों की जेबो में,
भ्रष्टों की चाटुकारीता में,
नेता के कुर्ते में …….
मैं दहकती कलम से निकली खबर हूँ ‘अवि’
मैं बारुद की स्याही के अरमान हूँ,
मैं हर परेशां इंसान की आवाज हूँ,
मैं हर उलझे सवाल का जवाब हूँ,
मैं न्याय के मंदिर की मूरत हूँ,
मैं आदत हूँ आजादी की ‘अवि’
मैं निष्पक्ष और निर्भीक पावक हूँ,
मैं ‘खबर’ हूँ ‘अवि’
मैं ‘खबर’ हूँ ‘अवि’
मेरे साथ तुम न्याय करना….
ना कभी बेचना ना कोई छेड़छाड़ करना
मुझे आजाद रहने देना,
मुझे निष्पक्ष और निर्भीक ही रहने देना….
मैं जिम्मेदारी हूँ तुम सब की
क्योंकि…….
मैं ’खबर’ हूँ ‘अवि’
#डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’
परिचय : डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ इन्दौर (म.प्र.) से खबर हलचल न्यूज के सम्पादक हैं, और पत्रकार होने के साथ-साथ शायर और स्तंभकार भी हैं। श्री जैन ने आंचलिक पत्रकारों पर ‘मेरे आंचलिक पत्रकार’ एवं साझा काव्य संग्रह ‘मातृभाषा एक युगमंच’ आदि पुस्तक भी लिखी है। अविचल ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा है। इन्होंने आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता का आधार आंचलिक पत्रकारिता को ही ज़्यादा लिखा है। यह मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में पले-बढ़े और इंदौर को अपना कर्म क्षेत्र बनाया है। बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग (कम्प्यूटर साइंस) करने के बाद एमबीए और एम.जे.की डिग्री हासिल की एवं ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियों’ पर शोध किया है। कई पत्रकार संगठनों में राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारियों से नवाज़े जा चुके अर्पण जैन ‘अविचल’ भारत के २१ राज्यों में अपनी टीम का संचालन कर रहे हैं। पत्रकारों के लिए बनाया गया भारत का पहला सोशल नेटवर्क और पत्रकारिता का विकीपीडिया (www.IndianReporters.com) भी जैन द्वारा ही संचालित किया जा रहा है।
बहुत खूब।